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बाबा रामदेव को भी हैरत में डाल देंगे हिमाचल के ये योगी बच्चे, बना चुके हैं कई वर्ल्ड रिकॉर्ड….

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ये कहानी ऐसे योगी बच्चों की है, जिनके गुण योग महागुरू बाबा रामदेव को भी हैरत में डाल देंगे। आमतौर पर योग सीखने वाले आसानी से चक्रासन कर लेते हैं, लेकिन चक्रासन की स्थिति में पचास से सत्तर मीटर चलने का करतब अब तक पूरी दुनिया में किसी ने नहीं दिखाया है। ट्रिपल एच (हिमालय हरिद्वार हस्पताल) योग समिति गानवीं के बच्चों ने ये करतब दिखा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। इन बच्चों में कौशल्या व पीयूष भाई-बहन हैं। एक अन्य बेटी दीक्षा ने भी ये सफलता हासिल की।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के एशिया व इंडिया के प्रतिनिधियों डॉ. मनीष व डॉ. आलोक ने तीनों बच्चों का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए स्वीकार कर लिया। इससे पहले गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने समूची दुनिया से ये जानकारी जुटाई थी कि कहीं इससे पहले चक्रासन की स्थिति में पचास मीटर की दौड़ किसी ने पूरी तो नहीं की। पाया गया कि ऐसा आज तक नहीं हुआ है। जून माह में रामपुर के पाटबांग्ला मैदान में आयोजित योग चैम्पियनशिप में 16 गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बने। रिकॉर्ड बनाने वालो में अधिकतर रामपुर के दूर दराज ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे हैं। साल 2017 में भी इन बच्चों ने योगासन में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए थे।

14 जून 2018 को आयोजित कार्यक्रम में रामपुर की कौशल्या ने चक्रासन दंड के साथ नया रिकॉर्ड बनाया था। 27 मिनट 26 सेकेंड में कौशल्या ने 1000 दंड किए थे। कौशल्या ने दस घंटे का योग मुद्रासन कर भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। वहीं, सबसे कम उम्र में हनुमान आसन में वर्ल्ड रिकॉर्ड समीक्षा डोगरा ने अपने नाम किया है। वो ये आसन करने वाली सबसे कम उम्र की प्रतिभागी हैं। इस बार के कार्यक्रम मे कुल 17 वर्ल्ड रिकॉर्ड बने हैं। अब तक कुल 29 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं जबकि 25 रिकॉर्ड स्कूली बच्चों के नाम हैं।

वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले सभी बच्चे साधारण परिवारों से संबंध रखते हैं। कौशल्या 19 साल की हैं और कॉलेज में पढ़ती हैं। कौशल्या के छोटे भाई पीयूष 14 साल के हैं। कौशल्या व पीयूष के पिता कमल मेहता व मां सरला मेहता का कहना है कि उन्हें अपने बच्चों की उपलब्धि पर गर्व है। वहीं, 14 बरस की दीक्षा ने भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर अपने पिता रामलोक व मां सुरेखा को गर्व का मौका दिया है।

चक्रासन मैराथन एक तरह की धीमी दौड़ है, जिसमें पीठ के बल लेटने के बाद हाथों व पैरों व हाथों की सहायता से शरीर का संतुलन बनाकर चलना होता है। इस आसन से संपूर्ण शरीर का विकास होता है। शरीर में उर्जा का संचार होता है और मानसिक रूप से मजबूती आती है। इस आसन में निपुण होने के बाद व्यक्ति जटिल से जटिल परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता। सेना की सेवा में ये खास गुण बहुत काम आता है। योगी रणजीत सिंह के अनुसार चक्रासन मैराथन में निपुण हो जाने के बाद ये बच्चे किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं हो सकते। खासकर सेना में देश की सेवा के लिए ऐसे बच्चे वरदान साबित हो सकते हैं। इन बच्चों को किसी भी परिस्थिति में डाल दें तो भी ये नहीं घबराएंगे। जंगलों व दुर्गम इलाकों में ऐसे बच्चे वातावरण की मुश्किलों के सामने कभी नहीं हार सकते।
ट्रिपल एच योग समिति गानवीं के मुख्य प्रशिक्षक योगी रणजीत सिंह का कहना है कि उनकी संस्था गरीब व साधारण घरों के बच्चों को योग विद्या में महारथी बनाना चाहती है। उन्होंने बताया कि ऊपरी शिमला के ग्रामीण इलाके पंद्रह-बीस के तहत गानवीं गांव के बच्चे राज्य बिजली बोर्ड के गानवीं पॉवर प्रोजेक्ट के कर्मियों को दूध बेचने के लिए जाते थे। इन बच्चों में कुछ कर गुजरने की ललक थी। योग आचार्य रणजीत सिंह ने इन बच्चों को योग सिखाना शुरू किया।

पिछले साल 12 बच्चों ने शीर्षासन सहित अन्य आसनों में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए। उनका बाकायदा वीडियो रिकॉर्डिंग हुई और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधियों ने मौके पर ही उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड के सर्टिफिकेट दिए। कुल 12 बच्चों में से 14 साल के अनुज मदारू ने कमाल करते हुए 2.25 घंटे तक शीर्षासन किया। इससे पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड 26 साल के युवा योगी के नाम था, जिन्होंने 2.20 घंटे तक लगातार शीर्षासन किया था। वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले 12 बच्चों में से आठ बेटियां थीं। इस बार भी चक्रासन मैराथन में वर्ल्ड रिकॉर्ड दो बेटियों ने अपने नाम किया है। योगी रणजीत सिंह हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में इंजीनियर हैं। योग के प्रति शौक ने उन्हें पतंजलि योग समिति से जोड़ा और वे वहां के प्रमाणित योग शिक्षक हैं। अपनी नौकरी के अलावा वे योग का प्रचार करते हैं।

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