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ऊना के युसूफ किसानों के लिए बने मिसाल, इस विधि से गर्म देशों में करेंगे मशरूम की खेती…

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जी हां, जिला ऊना के गांव नंगल सलांगडी का किसान युसूफ खान किसानों के मिसाल बनता जा रहा है। युसूफ ने हीड्रोपॉनिक विधि का प्रयोग करके घर की छत पर बिना मिट्टी के पानी में खीरे की खेती शुरू की है। युसूफ की मानें तो इस विधि से पानी की 90 प्रतिशत बचत होगी, वहीं कीटनाशक दवाओं से मुक्ति मिलेगी। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है और पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। यह पंक्तियां ऊना जिला के गांव नंगल सलांगडी के किसान युसूफ खान पर एकदम फिट बैठती है। हिमाचल प्रदेश के सबसे गर्म जिला ऊना में मशरूम की सफल खेती कर सुर्खियों में रहने वाले युसूफ ने अब घर की छत पर हाइड्रोपोनिक विधि का प्रयोग कर सब्जी उगाकर सभी को हैरत में डाल दिया है।
इससे पहले युसूफ इसी विधि से पॉलीहाऊस में बेमौसमी खीरा उगा चुके हैं। अब इसी प्रयोग को उन्होंने खुले आसमान के नीचे किया हैं, जो काफी हद तक कामयाब हो रहा है और पौधे बढ़ना शुरू हो गए हैं। पहले प्रयोग में एक छत पर 200 के करीब खीरे के पौधे लगाए गए हैं। इनमें पानी की सप्लाई को रिसाइकल करने के लिए समर्सिबल पंप का प्रयोग किया जा रहा है। पौधों को पाइप में टिकाने के लिए स्पंज का इस्तेमाल किया है। इनकी इस विधि से अब शहरों में रहने वाले लोग भी अपनी छतों पर खीरा व अन्य सब्जियां लगा सकते हैं।

ऊना जैसे गर्म जिला में मशरूम की सफल खेती को देखते हुए विदेश के बहरीन के शेख हामिद अब्दुल गफ्फर ने युसूफ को बहरीन में मशरूम की खेती के प्रोजेक्ट का जिम्मा सौंपा हुआ है। युसूफ खान इन दिनों बहरीन में इसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं और कुछ दिनों के लिए भारत आये हुए हैं।

जिस वैज्ञानिक तकनीक से खीरे का उत्पादन करने की ओर डॉ. युसूफ खान ने कदम बढ़ाया है इसे हाइड्रोपोनिक तकनीक कहते हैं। युसूफ द्वारा तैयार किये गए इस सिस्टम में प्रयोग होने वाले पानी में सभी जरूरी पोषकतत्व मिलाएं गए हैं, जो कि रूट्स के माध्यम से पौधे को मिलते रहेंगे। सिस्टम में एक विशेष तरीके से पौधे को हवा भी दी जाती है। इस विधि से खीरे के पौधे लगने से किसानों को इसकी खुदाई-रोपाई करने से भी निजात मिलेगी।

डॉ. खान का दावा है कि इस तकनीक में पानी की 90 फीसदी बचत होगी और इस विधि से पौधे जल्द तैयार हो जाते हैं। यूसुफ खान की यह तकनीक किसानों के लिए काफी फायदेमंद व लाभदायक सिद्ध हो सकती है। इसके अलावा जिन लोगों के पास जमीन या किचन गार्डन तक नहीं है, वे इस विधि से अपने कमरे के अंदर भी इसे लगा सकते हैं।

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