सांसद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान इसमें शामिल नहीं होने का फैसला लेकर शिवसेना ने ये संदेश दे दिया है कि मोदी सरकार से न सिर्फ विपक्ष आहत है, बल्कि उसके सहयोगी भी उससे खुश नहीं हैं.
: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने बड़े ही नाटकीय ढ़ंग से अविश्वास प्रस्ताव के दौरान नहीं रहने का एलान किया है. शिवसेना की तरफ से कभी हां और कभी ना के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के शुरू होने से ठीक चंद मिनट पहले ये एलान किया गया कि उनके सांसद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान इसमें शामिल नहीं होंगे.
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में बीजेपी के बाद शिवसेना सबसे बड़ा दल है लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर शिवसेना और बीजेपी में आपसी झगड़े किसी से छिपे नहीं हैं. सूबे में बीजेपी की बढ़ती ताकत और एनडीए में छोटे होते अपने कद से शिवसेना परेशान है और अविश्वास प्रस्ताव में उसका शामिल ना होना उसके इसी दर्द को बयां करता है.
शिवसेना सांसद आनंदराव अडसुल से जब ये सवाल किया गया किया क्या उनकी पार्टी नो कॉन्फिडेंस मोशन की डीबेट में हिस्सा लेगी तब उन्होंने कहा, “हम आज संसद के कार्य का वहिष्कार कर रहे हैं और हमने अपनी हाजिरी भी नहीं लगाई है.”शिवसेना के पास 18 सांसद हैं और उनका अविश्वास प्रस्ताव में शामिल नहीं होना और मोदी सरकार का समर्थन नहीं करना दरअसल बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. शिवसेना ने ये संदेश दे दिया है कि मोदी सरकार से न सिर्फ विपक्ष आहत है, बल्कि उसके सहयोगी भी उससे खुश नहीं हैं.