जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फ़िल्म ‘धड़क’ 2016 में आई मराठी सुपर हिट फिल्म ‘सैराट’ की रीमेक है, जिसे नागराज मंजुले ने बनाया था. इस हिंदी रीमेक को शशांक खेतान ने बनाया है और कहानी वही है जिसमें कॉलेज के 2 युवा मधुकर बगले और पार्थवी सिंह एक दूसरे से प्यार करते हैं. जातपात इनके प्यार के बीच रोड़ा बनता है क्योंकि लड़की ऊंची ज़ात की है और लड़का नीची जाति का. यह दोनों पकड़े जाने के बाद उदयपुर से भागते हैं और मुंबई होते हुये कोलकाता को अपना ठिकाना बनाते हैं. मधुकर बागले की भूमिका में हैं ईशान खट्टर और पार्थवी सिंह के किरदार में हैं जाह्नवी कपूर जिनकी यह पहली फ़िल्म है.
अब बात फ़िल्म की अच्छाइयों करें तो सबसे पहले इसका विषय और कहानी जो दिल को छूती है. हॉनर किलिंग के नाम पर हत्याएं होती हैं और प्यार करने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है. फ़िल्म में युवाओं के प्यार को बहुत अच्छे से दर्शाया गया है. एक-एक झलक पाने की तड़प अच्छी दिखती है जिससे युवा, या प्यार करने वाले रिलेट कर सकते हैं. फ़िल्म का दूसरा भाग खास तौर से अच्छा है जहां प्यार के बाद इनकी जद्दोजेहद कोलकाता में दिखाई देती है और कहानी आगे बढ़ती है. धड़क में 3 गाने सैराट के ही लिए गए हैं, जिसे हिंदी में दोबारा रीक्रिएट किया गया है. ईशान और खास तौर से जाह्नवी का भोलापन अच्छा लगता है. इस प्रेम कहानी में कॉमेडी का तड़का भी है जो फ़िल्म को भारी होने से बचाता है
और अब बारी फ़िल्म की खामियों की तो सबसे पहले आएगी ‘धड़क’ की तुलना ‘सैराट’ से. अगर दोनों फिल्मों की तुलना करें तो ‘धड़क’ से ज्यादा ‘सैराट’ अच्छी है. ऐसा इसलिए, ‘सैराट’ में मासूम कहानी के साथ-साथ उनके किरदार रियल लगते हैं क्योंकि उन किरदारों को निभाने वाले कलाकार उसी मिट्टी के जन्मे और पले बढ़े थे. वहीं धड़क की कहानी भी मासूमियत से भरी है मगर इसके किरदार रियल नहीं लगते क्योंकि मुम्बई के 2 युवा कलाकारों को राजस्थान की भाषा और लहजा पकड़ा दिया गया जो उनपर रियल नहीं लगता है. फ़िल्म कई हिस्सों में खींची हुई भी नज़र आती है और बहुत जगह दिल को नहीं छूती हालांकि जाह्नवी और ईशान ने अच्छी कोशिश की है.
एक लव स्टोरी है जिसे आप एक बार देख सकते हैं. जाह्नवी प्रॉमिसिंग लग रही हैं और वह भविष्य में अच्छा कर सकती हैं. ईशान की भी कोशिश अच्छी है इसलिए फ़िल्म के लिये मेरी रेटिंग 2.5 स्टार है.