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छोटे बिजली उत्पादकों से बिजली खरीदेगा राज्य विद्युत बोर्ड : CM…

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राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि बिजली उत्पादकों की सहायता और बिजली क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए 25 मेगावॉट क्षमता तक की छोटी बिजली परियोजनाओं द्वारा उत्पादित बिजली को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड द्वारा खरीदेगा। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यह बात आज यहां भारत सरकार और बहुद्देशीय परियोजनाओं, ऊर्जा विभाग, एनइएस और हिमाचल सरकार के सहयोग से हाइड्रो पावर ड्वेल्पर्स और हिमालय पावर प्रोड्यूसर एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं का तीब्र विकास’ विषय पर संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कही।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 27 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन क्षमता की पहचान की गई है और इसका पूरी तरह से दोहन होने पर राज्य की अर्थव्यवस्था को बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में अभी तक 10547 मेगावाट विद्युत क्षमता का ही दोहन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी से वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 182 मेगावाट क्षमता का उपयोग करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार बिजली उत्पादकों को अनेक प्रोत्साहन प्रदान कर रही है, जिससे वे आसानी से राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादक अन्य इच्छुक खरीदारों को बिजली बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली उत्पादकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करने के लिए ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। उन्होंने कहा कि बिजली परियोजनाओं की स्थापना को मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिजली उत्पादकों की सभी व्यवहारिक मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने विद्युत नीति में आवयश्क संशोधन किए हैं ताकि इसे निवेशकों के लिए अनुकूल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए त्वरित वन स्वीकृति प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों को परियोजनाओं के निर्माण से अनावश्यक देरी से बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के वर्तमान कार्यकाल के दौरान विद्युत और औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में निवेशकों के कल्याण के लिए कुछ प्रमुख पहलें की गई हैं।

जय राम ठाकुर ने कहा कि बिजली क्षेत्र में अधिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने भविष्य में लगने वाली परियोजनाओं के लिए पहले 12 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत की दर से रॉयल्टी स्थगित कर दी है जो बिजली उत्पादकों को अत्याधिक लाभ पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि इससे बिजली उत्पादकों को परियोजनाओं के प्रारम्भिक वर्षों में ऋण और ब्याज का भुगतान करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए आगामी परियोजनाओं में एक लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से अग्रिम भुगतान शुल्क लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में 3.34 लाख मैगावाट बिजली पैदा की जा रही है जो चीन के मुकाबले बहुत कम है, जहां 16.74 लाख मेगावाट बिजली तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि देश तथा राज्य में मौजूद क्षमता का पूरी तरह दोहन करने के लिए विद्युत क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना शेष है। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विकास के  क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए साई इंजीनियरिंग फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुनीश शर्मा, पी.सी. पंत, तरूण कपूर, एस.एन. कपूर, अजय कुमार शर्मा, केशव रेड्डी और हरीश गुलेरिया को ऊर्जा उत्पादक संघ की ओर से सम्मानित किया।बोनाफाईड हिमाचली हाइड्रो डेवेल्पर्ज तथा हिमालय पावर प्रोड्यूसर एसोसियेशन ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री को 11 लाख रुपये का चेक मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए भेंट किया।

बहुद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि ऊर्जा और पर्यटन क्षेत्रों में राज्य को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने तथा प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र के पुनर्जीवन के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए सरकार ने कुछ कदम भी उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं ने भी राज्य सरकार के इस दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा नीति को निवेशक मित्र बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा ट्रांसमिशन पर बल दिया जाएगा ताकि स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों को बिजली बेचने में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा ऊर्जा उत्पादकों की सभी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा तरूण कपूर ने सेमिनार में सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि राज्य अगले पांच वर्षों में निजी क्षेत्र में 5000 मेगावाट का दोहन करने में सफल रहता है, तो राज्य 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित कर सकेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण समय में काफी कमी लाई जाए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन पर प्रस्तुति भी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए तीव्र वन स्वीकृतियां के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।

बोनाफाइड हिमाचली जल विद्युत उत्पादक एसोसियेशन के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि राज्य के विद्युत उत्पादक हिमाचल प्रदेश को देश का ऊर्जा राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है, जिसके लिए सरकार का सक्रिय सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए वन स्वीकृति बहुत बड़ी अड़चन है, क्योंकि इसकी प्रक्रिया काफी जटिल और उबाऊ है और इसे सरल करने की आवश्यकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से उनकी विभिन्न मांगों के शीघ्र समाधान के लिए आग्रह किया।

हिमालय ऊर्जा उत्पादक संघ के अध्यक्ष अरूण कुमार ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। कारपोरेट अफेयर्ज, जे.एस.डब्ल्यू ऊर्जा लिमिटेड के सह-उपाध्यक्ष ने हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत पर विस्तृत प्रस्तुति दी। एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अजय ठाकुर ने भी इस अवसर पर अपनी प्रस्तुति दी।ऊर्जा निदेशक मानसी सहाय ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी , मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुंडू तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

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