सूत्रों की मानें तो सीएम ने बुधवार को गृह विभाग और विजिलेंस ब्यूरो के अधिकारियों को ओक ओवर बुलाया।इनसे पूछा कि राजनीतिक आधार पर दर्ज किए गए इन मामलों को वापस लेने में क्या पेच है? इस पूरे मामले को दो दिन पहले ओक ओवर में हुई जयराम-धूमल की डिनर डिप्लोमेसी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बुधवार को करीब तीन बजे ओक ओवर में सतर्कता निदेशक, विजिलेंस ब्यूरो प्रमुख समेत कई अधिकारियों को बुलाया गया। इस दौरान सीएम कार्यालय के कुछ अधिकारी भी मौजूद रहे।
सूत्रों ने बताया कि इस अवसर पर अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि पिछली सरकार के कार्यकाल में कौन-कौन से मामले राजनीतिक आधार पर दर्ज किए गए हैं और इनमें से कौन-कौन से केस की वापसी का क्या स्टेटस है। इससे अवगत करवाया। माना जानना चाहा है कि दो दिन पहले की डिनर डिप्लोमेसी में भी इस मुद्दे पर जयराम-धूमल में गोपनीय चर्चा हुई है। धूमल और अनुराग पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके खिलाफ यह मामले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राजनीतिक रंजिश के चलते दर्ज किए हैं।
मुख्यमंत्री ने विजिलेंस ब्यूरो के अधिकारियों से यह भी जानना चाहा है कि पूर्व मुख्य सचिव पी. मित्रा के खिलाफ किस तरह की जांच चल रही है। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों ने सीएम को यह बताया कि भू-सुधार अधिनियम में अनियमितताओं का यह मामला पहले ही बंद हो चुका था।2011 में दर्ज इस केस की क्लोजर रिपोर्टर कोर्ट को दी जा चुकी थी। क कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस ने इसे दोबारा खोला है। इसमें संबंधित लोगों से पूछताछ हो रही है।
सतर्कता निदेशक और विजिलेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने सीएम जयराम ठाकुर को इसकी भी जानकारी दी है कि टाइमलाइन के पूरा होने के बावजूद सभी विभागों ने भाजपा चार्जशीट पर रिपोर्ट क्यों नहीं दी है। इन अधिकारियों ने बताया कि महज दर्जन भर अधिकारियों ने ही यह रिपोर्ट उन्हें दी है। बाकी से वांछित है। सीएम ने इस पर भी गंभीरता बरतने को कहा।