बीते कई दिनों से असम के एनआरसी (NRC) के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में संग्राम छिड़ा है. सरकार और विपक्ष में इस मुद्दे पर घमासान जारी है. मगर शुक्रवार को सरकार की ओर से राज्यसभा (Rajya Sabha) में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भरोसा दिलाया कि एनआरसी की यह फाइनल लिस्ट नहीं है और सबको अपनी पहचान साबित करने का मौका मिलेगा. इसलिए किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआरसी को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभी यह फाइनल लिस्ट नहीं है, जिनका नाम एनआरसी में नहीं है वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं
राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा कि एनआरसी की लिस्ट से किसी भी भारतीय का नाम नहीं हटेगा. सबको इसमें शामिल किया जाएगा, बशर्ते उन्हें अपनी पहचान साबित करनी होगी कि हां वह भारतीय हैं. विपक्ष की आलोचनाओं का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो रही है और यह पूरी तरह से पारदर्शी है. इसलिए इस पर किसी तरह के सवाल की गुंजाइश नहीं है.राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआरसी के मुद्दे पर कुछ लोग माहौल बिगाड़ रहे हैं. कुछ लोग सिर्फ भ्रम फैलाने में जुटे हैं. सोशल मीडिया पर गलत मैसेज फैलाया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर न तो भेदभाव हुआ है और न ही होगा. एनआरसी की फाइनल लिस्ट के बाद भी मौका मिलेगा लोगों को.
गृहमंत्री ने कहा कि जो भारतीय नागरिकता को साबित करने में कामयाब हो जाते हैं, उनके खिलाफ किसी तरह का एक्शन नहीं लिया जाएगा. मैं सबको आश्वस्त करता हूं कि कोई भी भारतीय इस लिस्ट से नहीं छुटेगा. किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. बता दें कि असम के एनआरसी के ड्राफ्ट लिस्ट में करीब 40 लाख लोगों का नाम नहीं है. जिसकी वजह से संसद में काफी घमासान जारी है.देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है. असम में सिटिजनशिप रजिस्टर देश में लागू नागरिकता कानून से अलग है. यहां असम समझौता 1985 से लागू है और इस समझौते के मुताबिक, 24 मार्च 1971 की आधी रात तक राज्य में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के मुताबिक, जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नहीं होता है उसे अवैध नागरिक माना जाता है्. इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था. इसमें यहां के हर गांव के हर घर में रहने वाले लोगों के नाम और संख्या दर्ज की गई है.एनआरसी की रिपोर्ट से ही पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है. आपको बता दें कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी और लोगों का दोनों और से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा. इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा का अपटेड किया गया.