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PM मोदी विदेशी बैंकों में जमा एक-एक रुपया वापस लेकर आएंगे और इस्तेमाल गरीबों के लिए किया जाए….

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साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा वादा यही था कि उनकी सरकार आई तो वह विदेशी बैंकों में जमा पूरा काला धन वापस लेकर आएंगे. उन्होंने कहा था कि अगर यह धन वापस आ जाए तो गरीबों को वैसे ही 15-15 लाख मिल जाएंगे नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘हम विदेशी बैंकों में जमा एक-एक रुपया वापस लेकर आएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका इस्तेमाल गरीबों की बेहतरी के लिए किया जाए.’

अब जब एक साल के भीतर देश फिर से चुनावों का सामना करने जा रहा है, अब यह जांच करने का समय आ गया है कि मोदी सरकार काले धन के वादे पर कितना खरा उतरी है. असल में कुल मिलाकर देखें तो पिछले चार साल में करीब 1.14 लाख करोड़ रुपये के काले धन का पता चला है. आइए देखते हैं मोदी सरकार ने काले धन पर अंकुश के लिए पिछले चाल साल में क्या कदम उठाए और अलग-अलग मामलों में क्या हैं आंकड़े…

सरकार की स्वैच्छ‍िक आय घोषणा योजना (IDS) और काला धन एवं टैक्स आरोपण एक्ट (BMIT Act) के तहत कुल 69,350 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत 5,000 करोड़ रुपये और आए हैं. BMIT एक्ट को सरकार ने 2015 में लागू किया था. इसके तहत विदेश में संपत्त‍ि रखने वाले लोगों को एक बार में एकमुश्त टैक्स देकर अपने काला धन को सफेद करने का मौका मिला था. 1 जुलाई से 30 सितंबर 2015 के ही दौरान इस योजना के तहत करीब 650 लोगों ने विदेशी बैंकों में जमा अपनी कुल 4,100 करोड़ रुपये की संपत्त‍ि का खुलासा किया.

इसके बाद सरकार ने दो और ऐसे तरीके मुहैया कराए. पहली थी साल 2016 की आय घोषणा योजना (IDS). इस योजना के तहत पिछले आकलन वर्ष तक जिन लोगों ने ईमानदारी से अपनी आय या संपत्त‍ि की घोषणा नहीं की थी, उन्हें इसका खुलासा करने का मौका दिया गया. इसके बदले उनकी आय पर 45 फीसदी का एकमुश्त टैक्स लगाने का प्रावधान था. आईडीएस के तहत 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ रुपये के एसेट का खुलासा किया.

इसके बाद दिसंबर, 2016 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू की गई. इसके तहत किसी अघोषित आय पर 50 फीसदी जुर्माना देकर गोपनीय तरीके से इसकी जानकारी सरकार को दी जा सकती है और किसी तरह की कार्रवाई से बचा जा सकता है. यही नहीं, अघोषित आय के अन्य 25 फीसदी हिस्सा को निवेश करने का भी विकल्प है, जो चार साल के बाद बिना ब्याज के वापस हो जाएगी.

नोटबंदी से कोई ठोस नतीजा नहीं मिला है, इसे आमतौर पर विफल माना जा रहा है. नवंबर 2016 में सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया. पूरे करेंसी सर्कुलेशन में इन नोटों का हिस्सा करीब 86 फीसदी था. इसके पीछे सोच बैंकिंग सिस्टम से बाहर हो चुके धन को वापस लाने की थी. सरकार को लगता था कि इससे बैंकिंग सिस्टम में 10 से 11 लाख करोड़ मूल्य के नोट वापस आ जाएंगे. नोटबंदी के समय 500 और 1000 के कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट अवैध घोषित किए गए थे. इनमें से सिर्फ 16,000 करोड़ रुपये ही वापस नहीं आए.

नोटबंदी के दौरान नए नोटों की छपाई और एटीएम को दुरुस्त करने आदि पर रिजर्व बैंक के करीब 21,000 करोड़ रुपये खर्च हो गए. हालांकि नोटबंदी के दौरान कुल कितनी रकम बैंकों में वापस आई अभी इसका अंतिम आंकड़ा रिजर्व बैंक बताने को तैयार नहीं है. इस तरह नोटबंदी से सरकार का यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ कि अर्थव्यवस्था से काला धन बाहर निकल आएगा.

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