ग्रामीण सड़कों की टारिंग करने में हिमाचल की सुस्ती पर केंद्र ने सख्ती दिखाई है। चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकार को केंद्र ने 400 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों की टारिंग करने का लक्ष्य है, लेकिन चार महीने में आठ किलोमीटर सड़क ही टारिंग हो पाई है। ग्रीन टेक्नोलॉजी से टारिंग के लक्ष्य का सिर्फ 2.22 फीसदी हिस्सा ही पूरा हो सका है।
इस पर केंद्रीय मंत्रालय की संयुक्त सचिव अलका उपाध्याय ने राज्य सरकार को एक पत्र भेजकर राज्य सरकार से संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश देने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की टारिंग का वर्ष 2018-19 के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके तहत हिमाचल में संतोषजनक काम नहीं हुआ है।
इसे लेकर देश के सभी राज्यों की प्रगति रिपोर्ट की सूची तैयार की गई है। केंद्र ने स्वीकृत सड़कों के लिए गैर परंपरागत सामग्री और हरित तकनीक अपनाकर इस लक्ष्य को हासिल करने को कहा था।
यानी इन्हें टारिंग करने में प्लास्टिक वेस्ट और कोल्ड मिक्स का इस्तेमाल करने को कहा है। केंद्र ने उम्मीद जताई कि आने वाले शेष महीनों में हिमाचल इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में ठीक से काम करेगा। आठ किलोमीटर नहीं, बल्कि ज्यादा सड़कों की ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर टारिंग की गई है। पत्र के बारे में जानकारी नहीं है। इसे देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।