कुंडली का पांचवां, नवां और ग्यारहवां भाव संतान से संबंध रखता है. इसके अलावा सप्तम भाव भी गर्भ का भाव है. इन भावों की स्थिति खराब होने पर संतान होने में समस्या आ जाती है. इसके अलावा बृहस्पति संतान कारक होता है. इसकी स्थिति पर विचार करना भी आवश्यक है. इन तमाम चीज़ों को देखकर ही संतान के बारे में जान सकते हैं. संतान के लिए पति पत्नी दोनों की कुंडली देखना आवश्यक है. भगवान कृष्ण की उपासना संतान प्राप्ति के लिए अचूक मानी जाती है. छोटे छोटे सरल उपायों से संतान प्राप्ति आसानी से हो सकती है
नित्य प्रातः सूर्य को हल्दी मिलाकर जल अर्पित करे.
पति पत्नी नित्य प्रातः “क्लीं कृष्ण क्लीं” का 108 बार जाप करें.
दोनों को ही एकादशी का उपवास रखना चाहिए और इस दिन केवल जलाहार करें.
नित्य प्रातः सूर्य को रोली मिलाकर जल अर्पित करें.
पति पत्नी नित्य प्रातः “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” का 108 बार जाप करें.
पत्नी नित्य सायं तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाए.
पति पत्नी दोनों ही एकादशी का उपवास रखें, इस दिन केवल जलाहार करें.
नित्य प्रातः “ॐ हौं जूं सः” का 108 बार जाप करें.
पति पत्नी नित्य प्रातः ब्रश करने के बाद तुलसी के पत्ते और बीज खाएं.
सर्दियों में तिल के दानों का सेवन भी लाभकारी होगा.
जिस भी शाप के कारण संतान नहीं हो पा रही हो , उसका निवारण कराएं.
पति पत्नी नियमित रूप से साथ में हरिवंश पुराण का पाठ करें.
अपने पलंग के सिरहाने बाल कृष्ण का चित्र लगाएं.
पति पत्नी एक साथ प्रदोष का व्रत रखें.
जिसकी कुंडली में गुरु चांडाल योग हो उस व्यक्ति को बृहस्पतिवार का उपवास रखना चाहिए.
उसे नित्य प्रातः विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए.
पति पत्नी को एक साथ हर सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए.
पति पत्नी को नित्य प्रातः 108 बार संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए.
दोनों को एक साथ जलाहार करके एकादशी का उपवास रखना चाहिए.
ढेर सारे फूलों के पौधे लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए.