देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vaajpayee) का 93 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में गुरुवार को शाम में 5.05 बजे निधन ( Death/ निधन) हो गया. उनकी मौत की सूचना शाम में एम्स प्रशासन ने दी. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee’s funeral cremation) बीते 11 जून से एम्स में भर्ती थे. मगर बुधवार को उनकी हालत और भी गंभीर हो गई, जिसके बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. अटल बिहारी वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. मधुमेह पीड़ित 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम करता था.
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके थे. उनकी मौत के बाद सात दिनों तक राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है. वहीं, उनके सम्मान में सात दिनों तक तिरंगा आधा झुका रहेगा. अटल जी का राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. अटल जी की मौत के बाद पीएम मोदी ने एक वीडियो जारी कर उनके निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया है और कहा कि अटल जी के जाने का मतलब है जैसे उनके माथे से पिता तुल्य का साया खत्म हो जाना
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अंतिम विदाई, स्मृति स्थल पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीरक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धासुमन अर्पित किएसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा और वायुसेना प्रमुख मार्शल बिरेंदर सिंह धनोआ ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दी श्रद्धांजलि.
कवि, राजनेता, दूरद्रष्टा, उन्होंने इंतिहास में अपनी छाप छोड़ी. उनका नाम भारत-फ्रांस रिश्तों के साथ जुड़ा रहेगा जिसे उन्होंने रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत करके आकार दिया था और जो 1998 से ही दोनों देशों को जोड़े हुए है : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर फ्रांस का बयान अंतिम संस्कार के लिए अंतिम सफर पर अटल बिहारी वाजपेयी. शाम में अटल जी का स्मृति स्थल पर अंतिम संस्कार किया जाएगा.दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में स्वामी अग्निवेश के साथ हाथापाई की बात सामने आई है. स्वामी अग्निवेश ने कहा कि मेरे साथ हाथापाई हुई है और मुझे अपमानित किया गया है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूज दिल्ली पहुंचे. पूर्व पीएम अटल जी के अंतिम संस्कार में होंगे शामिल.निर्मला सीतारमण सुबह 8:30 बजे, रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे 8 बजकर 31 मिनट पर. सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोवा और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा क्रमशः 8 बजकर 32 मिनट 33 मिनट और 8 बजकर 34 मिनट पर अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दिया.
साथ ही रक्षा सचिव भी दिवंगत नेता को 8 बजकर 35 मिनट पर श्रद्धांजलि अर्पित किया. इस दौरान वाजपेयी का शव कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शनों के लिये रखा है. – सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पूर्व पीएम अटल दिल्ली के 6 कृष्ण मेनन मार्ग पर अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा के लिए तैयारियां पूरी. नौ सेना, वायु सेना, थल सेना के जवान वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर के साथ रहेंगे मौजूद. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी अटल बिहारी वाजपेई के दिल्ली आवास पहुंचे. दिल्ली पुलिस की जगह सेना ने संभाली अंतिम यात्रा की जिम्मेवारी. सेना के वाहन में ले जाया जाएगा वाजपेयी का पार्थिव शरीर. अटल बिहारी वाजपेयी के घऱ पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहुंचे. सेना के जिस वाहन में अटल बिहारी वाजपेयी के पार्थिव शरीर को उनको निवास से बीजेपी ऑफ़िस में लेकर जाया जायेगा उसमें अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार के लोगों के साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी रहेंगे
गुरुवार के दिन एम्स में काफी गहमागहमी मची रही. अटल जी की सेहत पर पूरी देश की नजर थी. प्रधानमंत्री मोदी खुद दो-दो बार एम्स गये और पल-पल की खबर रख रहे थे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मोदी कैबनिटे के कई मंत्री दिन भर एम्स में डटे रहे. इससे पहले वाजपेयी की हालत बिगड़ने पर बुधवार की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें देखने के लिए एम्स पहुंचे थे. साथ ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी गुरुवार को एम्स पहुंचे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, जितेंद्र सिंह, अश्विनी चौबे, स्मृति ईरानी, शाहनवाज हुसैन, हर्षवर्धन सहित कई बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए एम्स गए थे. अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है. वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही. वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे. वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया वाजपेयी देश के उन चंद प्रधानमंत्रियों में से एक थे जिन्हें हमेशा उनके बेबाक फैसलों के लिए जाना जाता था. चाहे बात पाकिस्तान से दोस्ती के लिए बस से लाहौर जाने की हो या फिर कारगिल में लड़ाई के फैसले की. वह हमेशा से ही अपने फैसलों पर अडिग रहने वाले नेता थे. यही वजह थी कि वह देश में सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे.
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी कवि होने के साथ-साथ स्कूल मास्टर भी थे. वाजपेयी जी ने स्कूल तक की शिक्षा ग्वालियर में ही ली थी. इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में की. इसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र से एमए किया. इस दौरान उन्होंने संघ के कई ट्रेनिंग कैंपों में हिस्सा भी लिया. राजनीति में उनका प्रवेश 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ हुआ. इस आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें और उनके बड़े भाई प्रेम को 23 दिनों तक जेल में रहना पड़ा. आजादी के बाद वे जनसंघ के नेता बने.
देश में आपातकाल का विरोध करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था. इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने सभी विपक्षी दलों के एक साथ आने और एक दल बनाने की अपील की थी. जनसंघ और आरएसएस ने जेपी आंदोलन को पूरा समर्थन दिया. सन 1977 में देश की जनता ने कांग्रेस के खिलाफ जनता पार्टी को बड़े अंतर से चुनाव में जीत दिलाई. इसके बाद अटल जी को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया. वाजपेयी बतौर विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देने वाले पहले नेता बने थेअटल बिहारी वाजपेयी पहली बार देश के प्रधानमंत्री मई 1996 में बने. हालांकि इस दौरान उनकी सरकार महज 13 दिन में ही अल्पमत मे आ गई और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
एनडीए के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1998-99 में दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए ने सदन में अपना बहुमत साबित किया और इस तरह से बीजेपी ने एक बार फिर देश में सरकार बनाई. अटल बिहारी वाजपेयी 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहे. उनके इस कार्यकाल में देश ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं. साल 2004 में आम चुनाव में बीजेपी की हार के बाद उन्होंने गिरती सेहत के चलते राजनीति से संन्यास ले लिया था.अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न ने नवाजा. इस सम्मान से पहले भी वाजपेयी जी को पदम विभूषण से लेकर कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए.