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ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा को पूरी ‘पावर’ देने में फंस गया पेच..

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ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा को बोर्डों-निगमों की पूरी ‘पावर’ देने के मामले में पेच फंस गया है। शर्मा को बिजली बोर्ड का अध्यक्ष बनाने का विचार कर मुख्यमंत्री कार्यालय ने कानूनी राय ली है, मगर इस राय के मुताबिक मौजूदा वैधानिक प्रावधान में यह संभव नहीं होगा।

पूर्व केंद्रीय संचार राज्य मंत्री पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा चाहते हैं कि बिजली बोर्ड, पावर कारपोरेशन आदि का वित्तीय मामलों और कामकाज में उनका पूरा नियंत्रण रहे। इसके  लिए वह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से निरंतर बात कर रहे हैं और लगातार दबाव बना रहे हैं। मगर यह मामला उलझ गया है।

पिछली कांग्रेस सरकार में पंचायती राज मंत्री रहे अनिल शर्मा वर्तमान भाजपा सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने मंत्री रहते ही भाजपा का दामन थामकर सत्तासीन वीरभद्र सरकार को जोरदार झटका दिया था। उन्होंने अपनी परंपरागत सीट मंडी सदर से भाजपा का टिकट लिया और दोबारा चुनाव जीत लिया।

जयराम सरकार के सत्ता संभालने पर उन्हें ऊर्जा मंत्री बनाकर इसका रिवार्ड दिया गया। पर मंत्री बनने के बाद भी बिजली बोर्ड, पावर कारपोरेशन और ट्रांसमिशन कारपोरेशन में वित्तीय तथा अन्य निर्णयों में अपना दखल न देख अनिल शर्मा खुद को ‘पावरलेस’ महसूस कर रहे हैं। इसी मुद्दे को उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष भी बार-बार उठाया है।

सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी इस बारे में विधि, सामान्य प्रशासन समेत तमाम विभागों के अधिकारियों से गंभीर मंत्रणा कर चुके हैं कि क्या यह संभव है कि उन्हें बिजली बोर्ड का चेयरमैन बना दिया जाए। इस पर बाहरी राज्यों की प्रणाली की भी जानकारी ली जा चुकी। मगर कानूनी जानकारों के अनुसार इसके आडे़ केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी एक्ट और अन्य कई अधिनियम-नियम आ गए हैं। ऐसे में यह मामला सिरे नहीं चढ़ पाएगा।

मैंने सीएम साहब के सामने एक सिस्टम की बात की है। अब तक बिजली बोर्ड या पावर कारपोरेशन के यह हालात हैं कि यहां पर ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जिसके अनुसार ऊ र्जा मंत्री का इनके निर्णयों पर सीधे हस्तक्षेप हो। अगर ये सब ऊर्जा मंत्री के पास हैं तो इन पर नियंत्रण भी होना चाहिए। कोई भी फैसला मुख्यमंत्री को ही लेना है

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