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सेवानिवृत्त प्रिंसिपलों की डीपीसी का कैबिनेट में जाएगा मामला….

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शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके करीब 800 प्रिंसिपलों को स्थायी नियुक्ति देने और वित्तीय लाभ देने का मामला मंत्रिमंडल बैठक में जाएगा। शिक्षा विभाग ने प्रिंसिपलों की डीपीसी राज्य लोकसेवा आयोग की जगह विभागीय स्तर पर करने की मंजूरी मांगने को प्रस्ताव तैयार किया है।

 सरकार से इसे मंजूरी मिलते ही 800 सेवानिवृत्ति प्रिंसिपलों को बैकडेट से स्थायी पदोन्नति और वित्तीय लाभ मिलेंगे। शिक्षा विभाग ने इन प्रिंसिपलों की डीपीसी करने से पहले विजिलेंस क्लीयरेंस ले ली है। प्रिंसिपलों पर किसी तरह के कानूनी मामले दर्ज तो नहीं हैं, इसकी जांच को विजिलेंस क्लीयरेंस ली गई है।

प्रिंसिपलों की डीपीसी राज्य लोकसेवा आयोग के स्तर पर होती है, लेकिन इस मामले में करीब 800 प्रिंसिपल सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग अपने स्तर पर ही डीपीसी करवाना चाहता है। इसको लेकर कैबिनेट में ले जाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है।

साल 2008 के बाद शिक्षा विभाग ने सभी लेक्चरों और हेडमास्टरों को स्थायी नियुक्ति देने की जगह प्लेसमेंट आधार पर प्रिंसिपल बनाया है। सुप्रीम कोर्ट में पूर्व सैनिक कोटे का मामला विचाराधीन होने के चलते शिक्षा विभाग ने स्थायी नियुक्ति नहीं दी। ऐसे में प्रिंसिपल बनने वालों को पदोन्नति और वित्तीय लाभ नहीं मिल सके।

अब विभाग ने स्थायी नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू की है। स्थायी नियुक्ति मिलने के बाद सेवानिवृत्ति प्रिंसिपलों को प्रति माह छह हजार रुपये के लिए हिसाब से वित्तीय लाभ मिलेंगे। साल 2008 से लेकर 2018 तक करीब 2500 लेक्चरों और हेडमास्टरों को प्लेसमेंट आधार पर प्रिंसिपल बनाया गया है।

अब पहले चरण में विभाग ने सेवानिवृत्त हो चुके 800 प्रिंसिपलों को पहले स्थायी नियुक्ति देने का फैसला लिया है। शेष प्रिंसिपलों को दूसरे चरण में स्थायी नियुक्ति दी जाएगी। शिक्षा सचिव डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने बताया है कि चरणबद्ध तरीके से प्रिंसिपलों को स्थायी नियुक्ति देने की विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही सभी को पदोन्नति और वित्तीय लाभ दिए जाएंगे।

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