हिमाचल में अवैध भवनों को नियमित किए जाने के मामले में प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। सोमवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से शिमला प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिला भवन के आदेश मामले में भी बैठक में विस्तृत चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि टीसीपी विधेयक विधानसभा से पारित कर कानून बना है।
ऐसे में प्रदेश सरकार कार्य क्षेत्र की दलील के साथ इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दे सकती है। फिलहाल, सरकार ने इस मामले में कानूनी पहलुओं पर मंत्रणा करने का निर्णय लिया है। हिमाचल में 30 हजार के करीब अवैध भवन हैं। इनमें कई लोगों ने बिना नक्शे के भवनों का निर्माण किया है, जबकि कइयों ने नक्शा पास करने के बाद सेटबैक कम छोड़े हैं।सरकार की ओर से इन भवनों को नियमित करने के लिए पॉलिसी लाई गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने अवैध भवनों को नियमित करने पर रोक लगा दी। अब प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार मजबूत से पक्ष रखकर अवैध भवन मालिकों राहत दिलाएगी। प्रधान सचिव टीसीपी प्रबोध सक्सेना ने बैठक प्रस्तुतीकरण के माध्यम से रिटेंशन पॉलिसी को लेकर विस्तृत जानकारी दी। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी, परिवहन एवं वन मंत्री गोविंद ठाकुर, मुख्य सचिव विनीत चौधरी, अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी तथा राम सुभग सिंह, प्रधान सचिव विधि यशवंत सिंह, प्रधान सचिव ओंकर शर्मा, महाधिवक्ता अशोक शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।