रिमझिम बारिश या तेज, सभी को सुहानी लगती है, लेकिन इन फुहारों से बचने के लिये भी लोग उपाय ढूँढते रहते हैं। बरसात से बचने के लिये चाहे पदयात्री हों या दो-पहिया वाहन चालक, अनायास ही तेज चलने लगते हैं। ऐसा करने के बाद भी वे भीगे बिना नहीं रह पाते। तो क्यों न बारिश का लुत्फ लेते हुए धीरे ही चलें और सड़क पर फिसलने से बचें।
यह एक आम समस्या है कि लोग बारिश से बचने के लिये तेज चलने लगते हैं और दुर्घटना का कारण बनते हैं। पदयात्री हों, तो किसी वाहन के सामने अचानक प्रगट हो जायेंगे और यदि दो-पहिया वाहन चालक हैं, तो स्लिप हो जायेंगे। इस दौरान होने वाली समस्याओं में चार-पहिया वाहन चालकों की विजुविलिटी तो वैसे ही कम होती है। तो क्यों न धीरे चलें…
अच्छा, यह कोई नहीं समझता कि कितना भी तेज चल लें, लेकिन लक्ष्य से दूरी में केवल 4-5 मिनट का या ज्यादा से ज्यादा 10-15 मिनट का फर्क पड़ेगा। परंतु अगर इस दौरान आपके साथ किसी प्रकार की दुर्घटना घट गई, तो आपका पूरा दिन बर्बाद, आपको चोट लगने से जिंदगी भर का दर्द और आपके परिवार वाले और दोस्त भी परेशान। इसके अलावा, अगर आपके द्वारा सामने वाले को चोट लगी और उसने आप पर केस या क्लेम किया, तो पुलिस और अदालतों के चक्कर सहित आपके समय और धन, दोनों की बर्बादी। तो क्यों न धीरे चलें…
यह सही नहीं है कि गलती केवल वाहन चालकों की होती है। पदयात्री भी गलतियाँ करते हैं। लाल बत्ती पर जेब्रा क्रॉसिंग तो उन्हीं के लिये बनी है, लेकिन उसके भी नियम हैं, ये उन्हें पता नहीं है। यह पदयात्री जब वाहन चालकों के लिये ग्रीन लाइट होती है, तब भी सड़क पार करते नजर आते हैं और वाहन चालकों के गुस्से और दुर्घटना का कारण बनते हैं। तो क्यों न धीरे चलें… और देखकर चलें कि वाहन चालकों के लिये रुकने का समय कितना है।
हेलमेट मानो लोगों के लिये एक समस्या है, लेकिन कोई यह नहीं समझता कि यह समस्या नहीं समाधान है। इसे लगाने से आप सुरक्षित हैं और इसे लगाने से आपके समय में बचत भी हो रही है। दो-पहिया वाहन चालक अपने साथ हेलमेट तो रखता है, लेकिन लगाने से कतराता है। वह पुलिस चेकिंग होते देख रुककर हेलमेट पहनकर उनके सामने से निकलता है। इसमें कम से कम उसे 5 से 10 मिनट लगते हैं। इस दौरान चेकिंग देख जब वाहन चालक रुकता है, तो पीछे से तेजी से आ रहे वाहन से दुर्घटना का कारण भी बनता है। इसके अलावा ऐसे भी दो-पहिया वाहन चालक हैं, जो हेलमेट नहीं रखते। वे चेकिंग देख उल्टे भागते हैं और दुर्घटना का शिकार बनते हैं। साथ ही, लम्बी दूरी तय कर अपना मार्ग बदलकर समय की बर्बादी करते हैं।
सीट बेल्ट भी लोगों के लिये समस्या बना हुआ है। लेकिन कोई यह नहीं जानता कि यह भी लोगों की सुरक्षा के लिहाज से बनाया गया है। हाल ही में पीआईबी ने एक वीडियो रिलीज कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को कार में सीट बेल्ट लगाकर बैठते हुए दिखाया है। यह लोगों को जागरूक करने की एक बहुत अच्छी पहल है। क्योंकि जन-प्रतिनिधि लोगों के आइडियल होते हैं। उनके कहे का असर लोगों को समझ में आता है। विदेशों में तो कार में सभी व्यक्ति बेल्ट लगाते हैं। हमारे यहाँ तो केवल अभी वाहन चालक को ही बेल्ट लगाने के लिये बाध्य किया जा रहा है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से कार में सवार सभी व्यक्तियों को बेल्ट लगाना चाहिये। इससे दुर्घटना के समय बॉडी के आगे फिंकने से आयी चोट से बचा जा सकता है
मुख्यमंत्री की अनोखी पहल
यह बात सही है कि लोगों पर दबिश की अपेक्षा जन-जागरूकता काम करती है। यह बात हमारे प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान भी भली-भाँति जानते हैं। इसलिये अभी हाल ही में हुई मध्यप्रदेश की राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिये अहम निर्णय लिया। उनके निर्णयानुसार मंत्रि-परिषद के सदस्य सड़क पर उतरकर लोगों से सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करने की अपील करेंगे। यह बात लोगों के दिलों को छू गई। एक संवेदनशील मुख्यमंत्री ही जन-जागरूकता की बात करता है। उनका कहना यही है कि पहले लोगों को जागरूक तो किया जाये, फिर कार्यवाही करें।
मोबाइल भी दुर्घटना का सबब बना हुआ है। चाहे पदयात्री हों या वाहन चालक। सब समझते हैं कि मोबाइल पर बात करने से उनका ध्यान केवल बातों पर रहता है, लेकिन उसके बाद भी लोग पैदल चलते-चलते या वाहन चलाते-चलाते मोबाइल पर बात करते हैं और दुर्घटना का शिकार या कारण बनते हैं। कितना भी जरूरी कॉल हो, इसके लिये लोगों को सतर्कता से दूसरों को ध्यान में रखते हुए एक तरफ होकर कॉल रिसीव करना चाहिये। वैसे भी मोबाइल केवल सूचना के आदान-प्रदान के लिये है, लेकिन लोग इस पर घंटों बात कर अपने-आप को जबरन व्यस्त रखते हैं और बताते हैं।
एक सबसे बड़ी समस्या शराब पीकर गाड़ी चलाना है। इसमें तो कोई भी नहीं बचता। सभी काल के गाल में समा जाते हैं। चाहे केवल वाहन चालक ने शराब पी हो और बाकी उसका परिवार या किसी दूसरे का परिवार उसके साथ सभी दुर्घटनाग्रस्त होकर अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
ट्रेफिक नियम सबके लिये हैं। चाहें वे नगर निगम की गाड़ियाँ हों या सरकारी वाहन। मिनी बस चालक हों या ऑटो चालक, ट्रक ड्रायवर हों या ट्रेक्टर चालक, स्कूली बस चालक हो या वेन चालक। सभी को यातायात नियमों का पालन करना चाहिये। लोडिंग वाहन वाले तो किसी को कुछ समझते ही नहीं, क्योंकि उनके पास ठोस लोहे की गाड़ियाँ होती हैं। उनको केवल इतना याद रखना चाहिये कि उनके परिजन भी तो सड़क पर ही चलते हैं। वे भी पदयात्री हो सकते हैं या अन्य यात्री।
वाहन चालक हो या कोई भी व्यक्ति हो, उसको यह नहीं भूलना चाहिये कि उसका कोई अपना घर पर उसका इंतजार कर रहा है। वह चाहें पत्नी हो या बच्चे, बूढ़े माँ-बाप हों या अन्य कोई परिजन। अपनों को हमेशा फिक्र रहती है अपनों की। वह जब घर से निकलता है, तो घर वालों की चिंता अनायास ही बढ़ जाती है, जब तक वह सुरक्षित घर वापस नहीं आ जाता।
तो क्यों न धीरे चलें, सुरक्षित चलें, यातायात नियमों का पालन करें और दूसरों को भी करवायें।