केरल में बाढ़ का पानी उतरने लगा है पर अभी भी चार लाख लोग राज्य के राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रविवार को सभी मलयाली लोगों से राज्य के पुनर्निर्माण के लिए एक महीने का वेतन दान करने का आग्रह किया है। इस बीच केरल में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 302 पहुंच गई है। कई इलाकों में पानी घटने के बाद लोग राहत शिविरों से अपने घर की ओर लौटने लगे हैं। फिर भी अभी 4.62 लाख लोग 1435 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
मुख्यमंत्री विजयन ने भरोसा जताया कि केरल के पुनर्निमार्ण के लिए फंड की कोई समस्या नहीं होगी। विजयन ने एक टीवी चैनल से कहा, यूएई के शासक ने 10 करोड़ डॉलर देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वादा किया था। विजयन ने कहा, आज मुद्दा राशि का नहीं है, बल्कि मुद्दा धनराशि को स्वीकारे जाने का है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह बाढ़ से प्रभावित केरल को राहत के लिए विदेशी सरकारों से आने वाली मदद की राह में बाधा नहीं डालें। केंद्र सरकार से पूर्ण आर्थिक सहायता पैकेज पाने के लिए भयानक बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित केरल को कुछ महीने का इंतजार करना पड़ सकता है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक राशि जारी करने के बाद किसी भी राज्य को प्राकृतिक आपदा के लिए अंतिम सहायता राशि जारी करने के लिए केंद्र सरकार कुछ निश्चित नियमों और निर्देशों का पालन करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के राज्यपाल पी सदाशिवम को आश्वासन दिया है कि बाढ़ प्रभावित राज्य को तय प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष से और केंद्रीय सहायता दी जाएगी। राजभवन से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि केंद्र द्वारा जारी 600 करोड़ रुपये की राशि केवल अग्रिम सहायता है और आश्वासन दिया कि तय प्रक्रिया के अनुसार अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी।
बाढ़ प्रभावित केरल में पर्यटकों की संख्या 4-5 प्रतिशत गिरने के आसार है। राज्य के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यदि अक्तूबर से पर्यटकों के आगमन की रफ्तार नहीं बढ़ी तो इस बार आगंतुकों की संख्या 5 प्रतिशत कम हो सकती है। पर्यटन क्षेत्र केरल की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख अंग है। केरल पर्यटन के निदेशक पी बाला किरण ने कहा कि बाढ़ की वजह से अगस्त और सितंबर में भी लोगों ने अपनी यात्रायें रद्द कीं, जिसका असर राज्य के कारोबार पर पड़ेगा।
केरल के बिजली मंत्री एमएम मणि ने रविवार को यहां कहा कि पहाड़ी इडुक्की जिला सदी की भयानक बाढ़ के कारण 40 साल पीछे चला गया है। माकपा नेता ने कहा, हमारे पूर्वजों ने पिछले 100 सालों में इडुक्की में जो कुछ किया था, वह सब बह गया। इडुक्की 40 साल पीछे चला गया है। इडुक्की में लोगों का मुख्य पेशा खेती है। लेकिन तमाम पहाड़ियों और खतरनाक इलाकों के कारण इस जिले की जिंदगी कभी आसान नहीं रही है। मणि ने कहा, मैंने इतनी भयानक तबाही इसके पहले नहीं देखी।
तिरुवनंतपुरम। केरल में 1924 में बाढ़ से ऐसी ही तबाही मची थी और तब महात्मा गांधी ने खुद आगे बढ़कर बाढ़ राहत के लिए 6,000 रुपये एकत्र किए थे। जुलाई 1924 में आयी भीषण बाढ़ से भी राज्य में भारी तबाही हुई थी। महात्मा गांधी ने ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ के अपने प्रकाशनों में कई लेखों के जरिये लोगों से अनुरोध किया था कि वे स्वेच्छा से बाढ़ प्रभावित मालाबार (आज के केरल) को राहत के तौर पर अपना योगदान करें।
मूसलधार बारिश और बाढ़ से कनार्टक के कोडागू (कुर्ग) जिले में कॉफी बगानों में काफी तबाही मची है। देश के सबसे बड़े कॉफी उत्पादक क्षेत्र में फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष एमएस बोजे गौड़ा ने कहा, इस साल अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन भारी बारिश और बाढ़ के कारण जिले में करीब 60 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है।कोडागू जिले के करीब 45,000 कॉफी उत्पादक देश का 40 फीसदी कहवा का उत्पादन करते हैं। इस जिले की अर्थव्यवस्था कॉफी, मिर्च और धान के उत्पादन पर आधारित है। कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन के सदस्य एन बोस मंडन्ना ने कहा, कहवा उत्पादकों को बाढ़ से फसल बरबाद होने से 675 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।