मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड से जुड़ी रिपोर्टिंग पर कोर्ट की ओर से रोक लगाए जाने का मुद्दा चर्चा में रहा है. इस मुद्दे पर अब जाकर पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह ने बयान दिया है.उन्होंने मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के पीछे तर्क दिया है कि इससे आरोपियों को अग्रिम रूप से लाभ मिलने की आशंका रहती है.
उन्होंने कहा- मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के खिलाफ नहीं हूं. मगर व्यापक जनहित में कभी-कभी उचित रोक लगाने की जरूरत होती है. मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए. आरोपियों को अग्रिम रूप से मीडिया रिपोर्ट से लाभ नहीं पहुंचना चाहिए. पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मुजफ्फरपुर कांड में अब तक मीडिया की भूमिका की सराहना भी की.उन्होंने कहा कि इस केस को जनता के सामने लाने में मीडिया ने अहम भूमिका अदा की. इसकी सराहना करता हूं.
बीते दिनों मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच कर रहे सीबीआई एसपी के ट्रांसफर की घटना पर हाई कोर्ट ने सवाल खडे़ किए हैं. मुख्य न्याायधीश ने सीबीआई से सवाल किया कि कैसे लखनऊ और रांची का प्रभार देख रहे सीबीआई के एसपी को मुजफ्फरपुर बालिका गृह का केस देखने की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे दी गई. सवाल किया कि एक एसपी को तीन राज्यों का चार्ज कैसे दिया जा सकता है?.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एसपी के ट्रांसफर पर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए. इस पर सीबीआई का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि जांच एजेंसी एसपी रैंक के अफसरों की कमी से जूझ रही है. सीबीआई ने इस मामले को गंभीरता से देखने की बात कही तो कोर्ट ने कहा कि आप किसी भी जांच अधिकारी के तौर पर तैनात कर सकते हैं, मगर ध्यान रखिए वह कोई प्रभारी एसपी नहीं होना