18वें एशियन गेम्स का आज 9वां दिन है. 8वें दिन भारत को 5 सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल मिले. इस दिन भारत एक भी गोल्ड मेडल नहीं जीत पाया. 9वें दिन की अगर बात करें तो बैडमिंटन में भारत को हार मिली है जहां सायना को सेमीफाइनल में चाइनीज ताइपे ने हरा दिया. सायना को मुकाबले में ब्रॉन्ज मेडल मिला है.
वीमंस सिंगल के दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में पीवी सिंधु और अकाने यामागुची के बीच मुकाबला था. जहां पीवी सिंधु ने यामागुची को सेमीफाइनल में हराकर फाइनल में जगह बना लिया है. सिंधु भारत की तरफ से फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई है. इस मुकाबले के बाद पीवी सिंधु अब गोल्ड मेडल के लिए फाइनल में भिड़ेंगी.
20-10 के स्कोर पर पीवी सिंधु ने अपना फाइनल सेट जीतकर इतिहास रच दिया. बता दें कि 1962 के बाद अभी तक कोई भी खिलाड़ी ब्रॉन्ज मेडल से आगे नहीं पहुंच पाया था. पीवी सिंधु ने ऐसा कर इतिहास रच दिया है. जीत के बाद ये पहला मौका होगा जब उन्हें सिल्वर मेडल हासिल हो सकता है और अगर वो फाइनल जीत गई तो वो भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बना देंगी. फाइनल में उनका मुकाबला चीनी ताइपे की ताइ जु यिंग से होगा.
पहले ही गेम से ही दोनों के बीच बराबरी की टक्कर देखी गई. अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी के खेल से परिचित सिंधु ने इसका फायदा उठाते हुए उनके खिलाफ स्कोर 8-8 से बराबर किया और इसके बाद 13-9 से बढ़त ले ली. वर्ल्ड नम्बर-3 भारतीय खिलाड़ी ने यामागुची पर इस बढ़त को बनाए रखा और अंत में पहला गेम 22 मिनटों के भीतर 21-17 से अपने नाम कर लिया. दूसरे गेम में भी दोनों को बराबरी का संघर्ष करते देखा गया. हालांकि, अपने कद का फायदा उठाते हुए सिंधु बढ़त हासिल करने की कोशिश कर रही थी. यामागुची अपनी फुर्ति से सिंधु को उनके हर हमले का जवाब दे रही थी.
रियो ओलम्पिक की रजत पदक विजेता सिंधु ने यामागुची की गलतियों का फायदा उठाया और उनके खिलाफ 10-6 की बढ़त हासिल कर ली. यहां जापान की खिलाड़ी ने वापसी की और सिंधु पर दबाव बनाते हुए 12-10 की बढ़त हासिल कर ली और 22 मिनट में सिंधु को 21-15 से हराकर दूसरे गेम जीतकर 1-1 से बराबरी कर ली. सिंधु ने तीसरे गेम में यामागुची पर अपना दबाव बनाने की कोशिश करते हुए 9-4 की बढ़त बनाई. जापानी खिलाड़ी के खिलाफ इस बढ़त को बनाए रखते हुए सिंधु ने तीसरा गेम 21-10 से जीता.
इस हार के कारण यामागुची को कांस्य से संतोष करना पड़ा है. यह एशियाई खेलों में उनका पहला पदक है.