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RSS अब राहुल गांधी और सीताराम येचुरी को अपने कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये भेजेगा न्यौता 17 से 19 सितंबर तक चलेगा होगा आयोजन…..

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 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के कई नेताओं को दिल्ली में आयोजित होने वाले अपने एक कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ में हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित करेगा. सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक आरएसएस अभी इस फैसले पर विचार कर रहा है. इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ‘प्रबुद्ध लोगों’ से संवाद करेंगे. यह कार्यक्रम 17 से 19 सितंबर तक चलेगा. हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की है. लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आरएसएस भारत के हर संस्थान पर कब्जा कर देश के स्वरूप को ही बदलना चाहता है

राहुल गांधी ने लंदन में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्ट्रेटजिक स्टडीज (आईआईएसएस) के एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं. आरएसएस नेता  अरुण कुमार ने इस कार्यक्रम पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि देश में बड़ा वर्ग संघ से जुड़ना चाहता है. संघ का दृष्टिकोण जानना चाहता है. ‘भविष्य के भारत की परिकल्पना और संघ की सोच’ विषय पर मोहन भागवत संवाद करेंगे. अरुण कुमार ने राहुल गांधी के आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करने की बात पर कहा कि सारी दुनिया मुस्लिम आतंकवाद, मुस्लिम ब्रदरहुड से कितना पीड़ित है, अगर ये समझते तो ऐसा नहीं कहते. वैसे भी वो(राहुल) कहते है कि अभी पूरे भारत की उन्हें समझ नहीं है जब भारत को नहीं समझा है तो संघ को नहीं समझ पाएंगे.​

अरुण कुमार ने कहा कि इस बैठक में समाज के हर क्षेत्र के लोगो को बुलाया जाएगा. राजनीतिक पार्टियों के लोगो को भी बुलाया जाएगा. हम सभी राजनीतिक पार्टियों को इस कॉन्क्लेव में बुलाएंगे.

अपने विदेश दौरे में राहुल गांधी की ओर से संघ और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. ऐसे में यह दिलचस्प है कि आरएसएस की ओर से राहुल गांधी को कार्यक्रम में हिस्सा लेने का न्यौता भेजने का फैसला किया गया है. हालांकि इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी नागपुर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग से समापन समारोह में हिस्सा ले चुके हैं. प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के फैसले पर कांग्रेस असहज नजर आई थी और कुछ नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी को लेकर अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिये कहा था. वहीं संघ की ओर से कहा गया था कि वह समय-समय पर ऐसे संवाद कार्यक्रमों को आयोजित करता रहता है जिसमें विभिन्न विचारधारा और मतों के लोग हिस्सा लेते हैं

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