Home राष्ट्रीय तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR का इस्तीफा, विधानसभा भंग करने की सिफारिश मंजूर..

तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR का इस्तीफा, विधानसभा भंग करने की सिफारिश मंजूर..

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई जिसमें राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की गई. बैठक के बाद मुख्यमंत्री केसीआर ने राज्यपाल इएसएल नरसिम्हन से मुलाकात कर विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव सौंपा जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.

बता दें कि करीब 15 दिनों से विधानसभा भंग करने और जल्दी चुनाव कराए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं. तेलंगाना विधानसभा का चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ निर्धारित है, लेकिन सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) दोनों चुनाव अलग-अलग कराए जाने में राजनीतिक लाभ देख रही है. पार्टी को मई 2014 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में राज्य में जीत मिली थी. उसने 119 सदस्यीय विधानसभा में 63 सीटों पर जीत हासिल की थी.

मुख्यमंत्री ने विधानसभा भंग करने संबंधित प्रस्ताव को राज्यपाल को सौंप दिया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. इसके बाद राज्यपाल ने केसीआर को सरकार का केयरटेकर नियुक्त किया.मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केसीआर ने राजभवन पहुंच कर राज्यपाल इएसएल नरसिम्हन से मुलाकात कीतेलंगाना राष्ट्र समिति के आधिकारिट ट्विटर हैंडल के मुताबिक मुख्यमंत्री केसीआर 2.30 बजे पार्टी कार्यालय तेलंगाना भवन में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे.

-हालांकि रास्ते में सीएम को कुछ प्रदर्शनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा. प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने धरना दे रहे हैं. प्रदर्शनकारी नौकरियों में नियमित किए जाने की मांग कर रहे हैं. -मुख्यमंत्री के चंद्रचेखर राव ने कैबिनेट की बैठक ली. जिसमें विधानसभा को भंग करने का फैसला लिया गया. मुख्यमंत्री अभी राजभवन की तरफ जा रहे हैं असल में, केसीआर चाहते हैं कि साल के अंत में 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ उनके राज्य में भी चुनाव कराए जाएं. इसके लिए वह समयपूर्व विधानसभा भंग कराने का फैसला लेने जा रहे हैं.

ज्योतिष में खासा विश्वास रखने वाले मुख्यमंत्री 6 अंक को बेहद शुभ मानते हैं, इसलिए उन्होंने इस अहम फैसले के लिए 6 सितंबर के दिन को चुना है. राज्य विधानसभा का अगला चुनाव 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही कराया जाना है, लेकिन मुख्यमंत्री राव चाहते हैं कि इस साल के अंत में 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही इस राज्य के चुनाव करा लिए जाएं. साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छ्त्तीसगढ़ और मिजोरम में एक साथ विधानसभा चुनाव होने हैं.

इससे पहले 2 सितंबर को एक रैली को संबोधित करते हुए केसीआर ने कहा, ‘मैं वादा करता हूं कि अगर चुनाव से पहले मैं मिशन भागीरथ के जरिये हर घर को पानी मुहैया नहीं करा पाया तो मैं चुनाव नहीं लडूंगा. इस देश में कोई भी मुख्यमंत्री इस तरह की बात करने की हिम्मत नहीं दिखाएगा.’आइए, जानते हैं कि मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव आखिर किन 6 वजहों से समय से पूर्व ही विधानसभा भंग कराना चाहते हैं.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री राव चाहते हैं कि अचानक विधानसभा भंग करा दिए जाने से चुनाव की तैयारियों के लिए विपक्षी दलों को ज्यादा मौका न मिले.मुख्यमंत्री राव को इस बात एहसास है कि राज्य में आज की तारीख में विपक्ष के पास उनके बराबर का कोई भी नेता नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव कराए जाने से उन्हें खासी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और अपनी छवि का राज्यस्तरीय चुनाव में फायदा उठा सकेंगे.

अगर वह अप्रैल तक रुकते हैं तो आम चुनाव के माहौल में राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का फैक्टर तेलंगाना समेत शेष भारत में फैल सकता है. कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्षी दल है और पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देती है तो लोकसभा वोटिंग के दौरान विधानसभा वोटिंग पर इसका असर पड़ सकता है.लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं तो ऐसे में मुख्यमंत्री राव को दोनों चुनाव की तैयारियों के लिए भरपूर समय मिल जाएगा.

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के मुखिया और मुख्यमंत्री राव को इस बात का डर है कि साल के अंत में 4 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम) में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो 2019 में आम चुनाव में कांग्रेस को लेकर माहौल बनने का खतरा बन सकता है जो टीआरएस के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

राव को लगता है कि आम चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दा हावी रह सकता है. मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होने के कारण स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दे जगह बना सकते हैं जिससे स्थानीय पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने कभी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का समर्थन किया था, लेकिन राजनीतिक हित के चक्कर में मुख्यमंत्री राव महज 4 महीने के अंदर राज्य को 2 बार चुनाव में धकेलना चाहते हैं, जो पूरी तरह से पैसे की बर्बादी है.

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