आम आदमी पार्टी (आप) नेता हरविंदर सिंह फुल्का ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को सूचित किया है कि अगर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार धार्मिक ग्रंथों से हुई बेअदबी मामले में कार्यवाही नहीं करती तो 16 सितंबर को वह विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे. फुल्का ने बताया कि अरविंद केजरीवाल ने उनको जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट और मेरे विधायक पद छोड़ने की बात पर चर्चा करने के लिए बुलाया था. फुल्का ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चर्चा की और मैंने उनको बताया कि मैं अपने ऐलान से पीछे नहीं हटूंगा और वह मेरी बात से सहमत थे.
एचएस फुल्का ने एक सितंबर को यह ऐलान कर चुके हैं कि अगर कांग्रेस सरकार पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पंजाब पुलिस के रिटायर्ड डीजीपी सुमेध सिंह सैनी पर 15 दिन के भीतर केस दर्ज नहीं करती तो वह अपने विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे. फुलका का आरोप है कि इस मामले में कार्रवाई करने की जगह मामले को दबाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पांच सदस्य SIT बना दी है, लेकिन जांच के लिए जो FIR की कॉपी SIT को दी है उसमें किसी पुलिस अधिकारी का नाम ही नहीं है.
साल 2015 में पंजाब में धार्मिक ग्रंथों के साथ बेअदबी के मामले सामने आए थे, जिसको लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए. लेकिन कोटकपूरा और बहबलकलां में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने गोलियां चला दी थी जिसमें 2 लोगों की मौत हुई थी और कई लोग जख्मी हुए थे. अप्रैल 2017 में कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह की अध्यक्षता में आयोग बनाया. इस आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जिस दिन सुबह 6 बजे पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई उससे पहले उसी रात 2 बजे उस समय के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की डीजीपी सुमेध सैनी और आला पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत हुई थी. इसी के आधार पर एच एस फुल्का पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और तत्कालीन डीजीपी सुमेध सिंह सैनी पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे हैं, जबकि शिरोमणी अकाली दल इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कह रही है कि जांच करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह के मित्र और आप नेता सुखपाल सिंह खैहरा के रिश्तेदार हैं. इस मामले में सत्तारूढ़ कांग्रेस का कहना है कि रिपोर्ट एकदम सही है और इसके आधार पर जल्द ही बादल और अन्य दोषियों पर कार्रवाई होगी.
हरविंदर सिंह फुल्का जिनको एच एस फुल्का के नाम से भी जाना जाता है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और वरिष्ठ वकील भी हैं एच एस फुल्का पंजाब की दाखा विधानसभा सीट से विधायक हैं. 1984 में हुई सिख विरोधी हिंसा में जो पीड़ित सिख परिवार हैं फुल्का सालों से अदालतों में उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं. मार्च 2017 में फुल्का पंजाब में नेता विपक्ष भी बने, लेकिन क्योंकि इसके चलते उनको वकालत का पेशा छोड़ना पड़ा और 1984 के पीड़ितों की लड़ाई कमजोर पड़ती दिखी, तो उन्होंने नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया. फुल्का ने 2014 में आप की टिकट पर लोकसभा से लुधियाना की सीट पर चुनाव भी लड़ चुके है लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार रवनीत बिट्टू से हार गए थे.
फुल्का के विधायक पद से इस्तीफा देने की खबर से आम आदमी पार्टी की चिंता बढ़ गई है क्योंकि इस समय आम आदमी पार्टी पंजाब में जबरदस्त गुटबाजी से जूझ रही है. ऐसे में अगर फूलका अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दें तो दोबारा इस सीट को जीतने में आम आदमी पार्टी को बहुत दिक्कत हो सकती है. आम आदमी पार्टी पंजाब में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उसे मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल है.