घाटे में चल रहे बोर्ड-निगमों के बीच प्रदेश के जेल विभाग ने मिसाल पेश की है। कैदियों के हुनर से महकमे की कमाई 13 गुना बढ़ गई है। पिछले तीन साल में विभाग की कमाई 25 लाख से साढ़े तीन करोड़ पहुंच गई है। ऐसे में अब जेल महकमा अन्य विभागों और बोर्ड-निगमों के लिए कमाई का रोल मॉडल बनता दिख रहा है। बेकरी उत्पाद से लेकर वेल्डिंग, डेयरी, सेनेटरी नैपकिन, खाना, जैकेट, शॉल और रुमाल जैसे उत्पाद तैयार कर बाजार में बिक्री की जा रही है।
सूबे की सभी केंद्रीय, सब जेलों में होने वाले इस तरह के कार्यों से विभाग ने साल 2017-18 में करीब साढ़े तीन करोड़ की कमाई की है। यह कमाई साल 20015-16 के 25 लाख के आंकड़े से तेरह गुना ज्यादा है। खास बात यह है कि इसी साल विभाग ने इन उत्पादों को तैयार करने वाले कैदियों को पौने दो करोड़ रुपये भत्ते के रूप में बांटे हैं। डीजी जेल सोमेश गोयल ने बताया कि साल 2016-17 में भी विभाग ने करीब एक करोड़ की आय अर्जित की थी। आने वाले समय में विभाग कैदियों को कई अन्य तरह के उत्पाद बनाने के लिए कौशल विकास के लिहाज से शिविर भी लगाए की तैयारी कर रहा है।
वैसे तो जेलों में सजा काटने के लिए कैदियों को भेजा जाता है, लेकिन हिमाचल जेल विभाग के ‘हर हाथ को काम’ अभियान की बदौलत जरायम की दुनिया में कदम रखने वाले कैदी अब जेल के अंदर मेहनत की कमाई अर्जित कर रहे हैं। गोयल कहते हैं कि हर हाथ को काम अभियान सिर्फ इसलिए शुरू किया गया, क्योंकि जेलों का काम सजा पाए कैदी को सजा से ज्यादा सुधार का माहौल देना है। यह वजह है कि विभाग जेल में उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए एक प्लेटफार्म मुहैया कराने की कोशिश कर रहा है।