प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई लड़ते हुए गांधी जी ने एक बार कहा था कि वो स्वतंत्रता और स्वच्छता में से स्वच्छता को प्राथमिकता देंगे. उन्होंने साल 1945 में प्रकाशित अपने ‘रचनात्मक कार्यक्रम’ में जिन जरूरी बातों का जिक्र किया था, उनमें ग्रामीण स्वच्छता भी एक महत्वपूर्ण सेक्शन था. उन्होंने कहा कि अगर आप बहुत बारीकी से गौर करेंगे, मनन करेंगे, तो पाएंगे कि जब हम अस्वच्छता को दूर नहीं करते तो वही अस्वच्छता हम में परिस्थितियों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति पैदा करने लगती है.
- कोई चीज गंदगी से घिरी हुई है और वहां पर उपस्थित व्यक्ति अगर उसे बदलता नहीं है, सफाई नहीं करता है, तो फिर वो उस गंदगी को स्वीकार करने लगता है. कुछ समय बाद ऐसी स्थिति हो जाती है कि वो गंदगी उसे गंदगी लगती ही नहीं. यानि एक तरह से अस्वच्छता व्यक्ति कि चेतना को जड़ कर देती है. जब व्यक्ति गंदगी को स्वीकार नहीं करता, उसे साफ करने के लिए प्रयत्न करता है, तो उसकी चेतना भी चलायमान हो जाती है. उसमें एक आदत आती है कि वो परिस्थितियों को ऐसे ही स्वीकार नहीं करेगा.
- आज मैं आपके सामने स्वीकार करता हूं कि अगर मैंने गांधी जी को, उनके विचारों को, इतनी गहराई से नहीं समझा होता, तो हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में भी स्वच्छता अभियान कभी नहीं आ पाता. मुझे पूज्य बापू से ही प्रेरणी मिली, और उन्हीं के मार्गदर्शन से स्वच्छ भारत अभियान भी शुरू हुआ. आज मुझे गर्व है कि गांधी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सवा सौ करोड़ भारतवासियों ने स्वच्छ भारत अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया है.
- इसी जनभावना का परिणाम है कि 2014 से पहले ग्रामीण स्वच्छता का जो दायरा लगभग 38 प्रतिशत था, आज 94 प्रतिशत हो चुका है. भारत में खुले में शौच से मुक्त- ODF गांवों की संख्या 5 लाख को पार कर चुकी है. भारत के 25 राज्य खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं.
- चार साल पहले, खुले में शौच करने वाली वैश्विक आबादी का 60% हिस्सा भारत में था, आज ये 20% से भी कम हो चुका है. इन चार वर्षों में सिर्फ शौचालय ही नहीं बने, गांव-शहर ODF ही नहीं बने बल्कि 90% से अधिक शौचालयों का नियमित उपयोग भी हो रहा है.
- आज जब मैं सुनता हूं, देखता हूं, कि स्वच्छ भारत अभियान ने भारत के लोगों का मिज़ाज बदल दिया है, किस तरह से भारत के गांवों में बीमारियां कम हुई हैं, इलाज पर होने वाला खर्च कम हुआ है, तो बहुत संतोष मिलता है.
- समृद्ध दर्शन, पुरातन प्रेरणा, आधुनिक तकनीक और प्रभावी कार्यक्रमों के सहारे आज भारत के सतत विकास लक्ष्योंके लक्ष्यों को हासिल करने की तरफ भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. हमारी सरकार पर स्वच्छता के साथ ही पोषण पर भी समान रूप से बल दे रही है.
- साथियों, मैं इस बात के लिए आपको बधाई देना चाहता हूं कि चार दिन के इस सम्मलेन के बाद, हम सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि, विश्व को स्वच्छ बनाने के लिए 4P आवश्यक हैं. ये चार मंत्र हैं: राजनीतिक नेतृत्व (Political Leadership), जनता से चंदा (Public Funding), साझेदारी (Partnerships), लोगों का सहयोग (People’s participation) जरूरी है.