आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इन्दिरा एकादशी कहा जाता है. इस शुभ दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इस व्रत को करने से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
क्यों खास है यह एकादशी व्रत-
पितृपक्ष की एकादशी होने के कारण यह एकादशी पितरों की मुक्ति के लिए उत्तम मानी जा रही है. पितृपक्ष में मनाई जाने वाली इस एकादशी से पितरों को मुक्ति मिलती है और दूसरे लोक में उनकी आत्मा को सुकून मिलता है.
क्या है इस व्रत का महत्व-
पुराणों के अनुसार इन्दिरा एकादशी व्रत, साधक की मृत्यु के बाद भी प्रभावित करता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और इस व्रत के प्रभाव से उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है. इस व्रत के प्रभाव से जातक के पितरों का दोष भी समाप्त होता है.
क्या है इस व्रत की विधि-
– पद्म पुराण के अनुसार एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से किया जाता है, जिसमें एक बार भोजन, ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है.
– अगले दिन यानि एकादशी व्रत के दिन स्नानादि से पवित्र होकर व्रत संकल्प लेना चाहिए.
– पितरों का आशीष लेने के लिए विधि-पूर्वक श्राद्ध कर ब्राह्मण को भोजन व दक्षिणा देना चाहिए.
– पितरों को दिया गया अन्न-पिंड गाय को खिलाना चाहिए. फिर धूप, फूल, मिठाई, फल आदि से भगवान विष्णु का पूजन करने का विधान है.
– उसके बाद अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को पुन: पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, परिवार के साथ मौन होकर भोजन करना चाहिए.