हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आज हरियाणा के पंचकुला जिले में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है तथा समाज में घटित होने वाली घटनाएं इसके माध्यम से प्रतिबिम्बित होती हैं। यही कारण है कि साहित्यिक समाज राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
उन्होंने कहा कि साहित्यकार जीवन का असली सारतत्व हैं क्योंकि वे स्वस्थ समाज के निर्माण में सहयोग देते हैं। उन्होंने साहित्यकारों से आग्रह किया कि समाज में घटित होने वाले महत्वपूर्ण घटनाक्रम को साहित्य के माध्यम से समाज के सम्मुख प्रस्तुत करें तथा इसके साथ-साथ सामाजिक चुनौतियों को भी साहित्य में जगह दें।
राज्यपाल ने कहा कि साहित्य में शाश्वत सिद्धान्तों का पालन होना चाहिए, जिससे भावी पीढ़ियां भी समाज के प्रति अपना योगदान दे सकें। साहित्य जीवन का अनुकरण है तथा इसके माध्यम से हम भावी पीढ़ियों के लिए समाज में घटित होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं को संजोए रख सकते हैं।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि साहित्यक कृतियों में मादक पदार्थों के दुरूपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि नौजवान पीढ़ी को इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, जल संरक्षण, आपसी सौहार्द, मूल्य आधारित शिक्षा, बालिका शिक्षा जैसे विभिन्न सामाजिक विषयों को साहित्य में प्रमुखकता से शामिल किया जाना चाहिए।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने विभिन्न लेखकों द्वारा लिखी गई 47 पुस्तकों का विमोचन किया।
हरियाणा साहित्यक अकादमी के निदेशक डॉ. कुमुद बन्सल ने राज्यपाल का स्वागत किया। हरियाणा उर्दू के अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्रा त्रिखा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
विद्या भारती संस्कृत शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रभिंदर सिंह, वरिष्ठ लेखक डॉ. लाल चन्द गुप्ता तथा अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।