मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में पारदर्शिता की मांग वाली कांग्रेस की याचिका पर आज सोमवार को फिर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने मतदाता सूची की सीबीआई जांच की मांग की। सुनवाई जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ में की गई। इसके अलावा वीवीपीएटी पर्चियों के सत्यापन की याचिका को लेकर भी कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कमलनाथ के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग को मध्य प्रदेश की मतदाता लिस्ट में गड़बड़ी संबंधी जानकारी दी थी। चुनाव आयोग ने झूठा जवाब दाखिल किया है।
जवाब में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जो फोटो के साथ 13 मतदाताओं की सूची नहीं दी गई थी उसमें मतदाताओं के फोटो साफ नहीं हैं। लेकिन चुनाव आयोग के पास उनकी स्पष्ट तस्वीर है। चुनाव आयोग ने कहा कि पहली ड्राफ्ट मतदाता सूची 19 जनवरी को जारी हुई, फिर मई में संशोधन किया गया।
कांग्रेस का दावा है कि मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट में 60 लाख फर्जी मतदाता हैं। इस मामले पर कांग्रेस ने वोटर लिस्ट के रिवीजन के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग को लेकर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार की मांग की थी।