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अब कॉलेजों में भी CBCS सिस्टम की तैयारी शुरू राज्यपाल के निर्देश पर रोडमैप तैयार….

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भोपाल। उच्चशिक्षा विभाग प्रदेशभर के सभी विश्वविद्यालयों और इससे संबद्ध कॉलेजों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने की तैयारी कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो पिछले तीन साल में तीसरी बार शिक्षा पद्धति में बदलाव होगा।

दरअसल, उच्चशिक्षा व शोध की क्वालिटी बढ़ाने के साथ नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नैक) से ग्रेडिंग कराने पर जोर दिया जा रहा है। इसके चलते राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर रोडमैप तैयार कर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को भेजा गया है। वहीं इस पर कार्रवाई कर हर दो महीने में रिपोर्ट मांगी गई है। इसका पहला कदम है एकेडमिक कैलेंडर का सख्ती से पालन और दूसरा सीबीसीएस को लागू करना।

दो साल पहले विभाग ने सेमेस्टर खत्म कर एनुअल सिस्टम लागू किया था और अब सीबीएस सिस्टम की बात सामने आ रही है। यह सिस्टम फिलहाल डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में लागू है। वहीं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में यह सिस्टम फेल होने के कारण वापस सेमेस्टर सिस्टम लागू करना पड़ा। ऐसे में राज्यस्तरीय विश्वविद्यालय में यह सिस्टम कितना कारगर सिद्ध होगा यह तो समय ही बताएगा। वहीं साल दर साल हो रहे इन बदलावों से विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

सीबीसीएस में छात्रों को उनके पसंद के विषय पढ़ने की स्वतंत्रता रहती है। यदि कोई गणित से बीएससी कर रहा है तो वह इतिहास, राजनीतिशास्त्र जैसे विषय की भी पढ़ाई कर सकता है। लेकिन  विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी टीचिंग स्टाफ की कमी है। वहीं इनसे संबद्ध सरकारी कॉलेजों में 5000 से भी ज्यादा स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। ऐसे में शिक्षकों की कमी के कारण विश्वविद्यालय सीबीसीएस में विषय की एक सीमित लिस्ट बना देते हैं। इन्हीं में से छात्रों को पढ़ने का मौका दिया जाता है।

उच्च शिक्षा विभाग में सालों से बातें बड़ी-बड़ी हो रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि बीते दस सालों में विश्वविद्यालय एकेडमिक कैलेंडर को ही सही ढंग से लागू नहीं कर पाते। इस रोडमैप को लागू करने से पहले वर्तमान में जितने पद खाली हैं उन पर भर्ती के बाद भी अतिरिक्त तौर पर शिक्षकों की जरूरत पड़ेगी। वहीं सेमेस्टर सिस्टम को फिर से लागू करना होगा। तभी परिणाम अच्छे मिलने की उम्मीद है।

हर एक विश्वविद्यालय में सभी विषयों का यूनिफार्म सिलेबस हो। बाहरी एजेंसी से कराना होगा टीचर्स परफार्मेंस ऑडिट।  सेंट्रल प्लेसमेंट सेल बने। इसमें फुल टाइम प्लेसमेंट फिसर नियुक्त होगा इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट सेल बनाकर विभिन्न मुद्दों पर देना होगा ध्यान। फुल टाइम साफ्ट स्किल सेंटर बने। इंडस्ट्री को जोड़ने के लिए सेपरेट एकेडमिक सेल बने। यह सेल इंडस्ट्री से संबंध बनाने पर जोर देगी। विश्वविद्यालयों सिस्टम में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाए

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