भोपाल चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनावी घोषणा-पत्र जारी होने के तीन दिन के भीतर उसकी तीन प्रति राज्यों में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपें। घोषणा पत्र में कोई ऐसा वादा नहीं करें जिसे पूरा नहीं किया जा सके। इस प्रति का पहले मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) द्वारा परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद इसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। यह जानकारी सोमवार को यहां सीईओ वीएल कांताराव ने दी। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में दिए आदेश के पालन में जारी की गई है।
सीईओ कांताराव ने बताया कि आयोग ने राजनीतिक दलों को अन्य प्रावधान भी किए हैं, जिसमें उन्हें अधिसूचना जारी होने के सात दिन के भीतर स्टार प्रचारकों की अनुमति के लिए आवेदन देना होगा। इसमें मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों एवं राज्य दलों के लिए स्टार प्रचारकों की संख्या 40 निर्धारित है। अन्य दलों के लिए यह संख्या 20 निर्धारित की गई है।
विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के खर्चे पर निगरानी के लिए प्रदेश में 848 एफएसटी और 840 एसएसटी का गठन किया गया है। इसके साथ ही अंतरराज्यीय सीमा पर 452 चैक पोस्ट बनाए गए हैं। एफएसटी फ्लाइंग स्कॉट है, जो कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में कार्य करेगा और अवैध गतिविधियों की सूचना मिलने अथवा संज्ञान में आने पर कार्रवाई करेगा। वीडियो सर्विलेंस टीम (वीएसटी) निर्धारित क्षेत्रों में होने वाली सभा और रैलियों की रिकाॅर्डिंग करेगी।
मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद दोनों राज्यों में वोटर लिस्ट को लेकर चुनाव आयोग और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने आ गए हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ अौर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल और चुनाव आयोग के वकील विकास सिंह के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
कांग्रेस नेताओं ने वीवीपैट में मतदाताओं की रैंडम वेरिफिकेशन की मांग की है। वहीं आयोग के वकील ने कहा कि इस याचिका के जरिए आयोग की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग आैर कांग्रेस की दलीलों को सुनने के बाद इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।