आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को बड़ा झटका लगा है. .प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने INX मीडिया केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ती चिदम्बरम की लगभग 54 करोड़ रुपये की संपत्तियों और बैंक में जमा राशियों को ज़ब्त कर लिया है. संपत्तियों में नई दिल्ली के जोर बाग, ऊटी और कोडाईकनाल में मौजूद बंगले, UK में स्थित आवास तथा बार्सीलोना में मौजूद एक संपत्ति शामिल हैं.
आईएनएक्स मीडिया केस में आरोप है कि 2007 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड ने आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम प्राप्त करने के लिए अनुमति प्रदान करने में अनियमित्तायें की. इस समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. सीबीआई ने शुरू में आरोप लगाया था कि कार्ति ने आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाने के लिए दस लाख रुपए की रिश्वत ली. बाद में उसने इस आंकड़े में परिवर्तन करते हुए इसे दस लाख अमेरिकी डॉलर बताया था.
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दाखिल एयरसेल-मैक्सिस मामले में सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तारी से दिया गया अंतरिम संरक्षण एक नवंबर तक बढ़ा दिया है. विशेष सीबीआई जज ओ पी सैनी ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक नवंबर की तारीख उस वक्त तय की जब सीबीआई और ईडी की तरफ से पेश हुए वकीलों ने इस मामले में स्थगन की मांग की थी. सीबीआई के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता और ईडी के वकील नितेश राणा ने अदालत को बताया था कि चिदंबरम के वकीलों पी के दुबे और अर्शदीप सिंह के जरिए दाखिल अर्जियों पर विस्तृत जवाब दाखिल करने और उन पर बहस करने के लिए एजेंसियों को वक्त की जरूरत है. बीते 19 जुलाई को सीबीआई की ओर से दाखिल आरोप-पत्र में चिदंबरम और उनके बेटे को नामजद किया गया था.
सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि 2006 में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए चिदंबरम ने कैसे एक विदेशी कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिला दी जबकि सिर्फ कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति को ऐसा करने का अधिकार था. 3,500 करोड़ रुपए के एयरसेल-मैक्सिस करार और 305 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की भूमिका जांच एजेंसियों की छानबीन के दायरे में है.