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पांच हत्याओं के मामले में रामपाल समेत 15 दोषियों को उम्रकैद की सजा…

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सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल और उसके बेटे वीरेंद्र समेत 15 दोषियों को अदालत ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। चार महिलाओं और एक बच्चे की हत्या मामले में रामपाल समेत 15 लोगों को 11 अक्टूबर को अतिरिक्त जिला और सत्र अदालत ने दोषी करार दिया था। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस-प्रशासन ने रामपाल समर्थकों को हिसार में प्रवेश करने से रोकने के लिए नाकेबंदी की है। रैपिड एक्शन फोर्स भी तैनात की गई है।

रामपाल, उसका बेटा वीरेंद्र, भांजा जोगेंद्र, बहन पूनम और मौसी सावित्री के अलावा बबीता, राजकपूर उर्फ प्रीतम, राजेंद्र, सतबीर सिंह, सोनू दास, देवेंद्र, जगदीश, सुखवीर सिंह, खुशहाल सिंह, अनिल कुमार को कोर्ट ने दोषी ठहराया था। एक अन्य महिला की हत्या के केस में रामपाल समेत 14 दोषियों को 17 अक्टूबर को सजा सुनाई जा सकती है।

रामपाल, उसका बेटा वीरेंद्र, राजकपूर उर्फ प्रीतम, राजेंद्र, जोगेंद्र और बबीता दोनों मामलों में दोषी हैं। रामपाल, वीरेंद्र, जोगेंद्र, राजेंद्र और राजकपूर उर्फ प्रीतम पहले से जेल में हैं। बबीता जमानत पर थी। अब उसे भी जेल भेज दिया गया है। संजय और राजबाला भी दोनों मामलों में आरोपी हैं, लेकिन फरार हैं। दोनों मामलों में कुल 23 लोग दोषी ठहराए गए हैं।

नवंबर 2014 में हिसार के बरवाला स्थित सतलोक आश्रम पर पुलिस ने छापा मारा था। पुलिस से बचने के लिए रामपाल ने अपने अनुयायियों को आश्रम के अंदर और बाहर ढाल के रूप में खड़ा कर दिया था। आरोप था कि रामपाल के आदेश पर उसके सहयोगियों और कमांडो ने लोगों को बंधक बनाया था। अनुयायियों की इस भीड़ के बीच दम घुटने से पांच लोगों की मौत हो गई थी।2006 में करौंथा के सतलोक आश्रम के बाहर फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी। प्रशासन ने रामपाल और उनके 37 अनुयायियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। बाद में उन्हें जमानत मिल गई। इसी मामले में हिसार कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बाबा की पेशी थी, जहां रामपाल समर्थकों ने बवाल किया। इसके बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने रामपाल औश्र उसके अनुयायियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। हाईकोर्ट ने 5 नवंबर 2014 को डीजीपी और गृह सचिव को आदेश दिया कि 10 नवंबर 2014 को रामपाल को पेश करें। 10 नवंबर को रामपाल ने लोगों को आश्रम में ढाल बनाकर खड़ा कर दिया। कोर्ट के आदेश के बावजूद 10 और 17 नवंबर को रामपाल की पेशी नहीं हो पाई। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस-प्रशासन को फटकार लगाते हुए 21 नवंबर तक रामपाल को पेश करने को कहा। 19 नवंबर 2014 को 60 घंटे तक की घेराबंदी और करीब 56 घंटे की कार्रवाई के बाद रामपाल ने रात में सरेंडर किया। इस पूरी घटना के दौरान 6 लोगों की मौत हो गई।

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