Home धर्म/ज्योतिष मां कालरात्रि की आराधना करते समय बरतें ये सावधानियां…

मां कालरात्रि की आराधना करते समय बरतें ये सावधानियां…

11
0
SHARE

देवी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि का है. मां कालरात्रि का रंग काला है और ये त्रिनेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में कड़कती बिजली की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और इनका का वाहन ‘गधा’ है. मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं.

संसार में व्याप्त दुष्टों और पापियों के हृदय में भय को जन्म देने वाली मां हैं मां कालरात्रि. मां काली शक्ति सम्प्रदाय की प्रमुख देवी हैं. इन्हें दुष्टों के संहार की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है.

मां काली की महिमा

शक्ति का महानतम स्वरूप महाविद्याओं का होता है. दस महाविद्याओं के स्वरूपों में ‘मां काली’ प्रथम स्थान पर हैं. इनकी उपासना से शत्रु, भय, दुर्घटना और तंत्र-मंत्र के प्रभावों का समूल नाश हो जाता है. मां काली अपने भक्तों की रक्षा करते हुए उन्हें आरोग्य का वरदान देती हैं.

शनि ग्रह शांत

ज्योतिष में शनि ग्रह का संबंध मां कालरात्रि से माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि शनि की समस्या में इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है. मां कालरात्र‍ि के पूजन से शनि का प्रभाव कम होता है और साढ़े साती का असर नहीं होता.

मां काली की पूजा के नियम-

– मां काली की पूजा दो प्रकार से होती है. पहली सामान्य पूजा और दूसरी तंत्र पूजा.

– सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है, लेकिन तंत्र पूजा बिना गुरू के संरक्षण और निर्देशों के नहीं की जा सकती.

– मां काली की उपासना का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का होता है.

– इनकी उपासना में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है.

– शत्रु और विरोधियों को शांत करने के लिए मां काली की उपासना अमोघ है.

– किसी गलत उद्देश्य से मां काली की उपासना कतई नहीं करनी चाहिए.

– मंत्र जाप से ज्यादा प्रभावी होता है मां काली का ध्यान करना.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here