सबरीमाला मंदिर क्षेत्र में काफी तनाव है। 5 किमी के दायरे में हजारों पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। इसके बावजूद मंदिर के करीब पहुंची दो महिलाओं को प्रदर्शनकारियों ने आगे जाने से रोक दिया। इसमें केरल की जर्नलिस्ट लिबी सीएस भी शामिल थीं। लिबी ने मंदिर में जाने के पहले फेसबुक पर पोस्ट लिखा था। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रोक दिया। फेसबुक पर लिबी ने लिखा था, “चार महिलाएं सबरीमाला जा रही हैं। ग्रुप में मेरे जैसी नास्तिक भी शामिल है।”
महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटने के बाद सबरीमाला मंदिर बुधवार को पहली बार मासिक पूजा के लिए खोला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं सदी के भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। केरल सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट के आदेश को लागू करेंगे। लेकिन, पूरे राज्य में अदालत के फैसले का विरोध किया जा रहा है। हंगामे और सामूहिक आत्महत्या की धमकी भी दी गई है। फैसले का विरोध करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं। हालांकि, कई महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि वे दर्शन के लिए मंदिर में जाएंगी।
तनाव की स्थिति को संभालने के लिए त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) और पंडालम राजपरिवार के सदस्यों के बीच मंगलवार को अहम बैठक हुई। इस बैठक में कोई भी नतीजा नहीं निकल सका, क्योंकि टीडीबी ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया। बैठक में अयप्पा सेवा संघम और योग क्षेम सभा के सदस्य भी शामिल थे।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आएगा, उसकी रक्षा की जाएगी। हम किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं देंगे। मेरी सरकार सबरीमाला के नाम पर हिंसा नहीं होने देगी। अगर किसी ने श्रद्धालुओं को मंदिर जाने से रोका तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा।
भगवान अयप्पा के सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर के रास्ते में 20 किलोमीटर पहले ही जमा हो गए हैं। इनमें आजीवन ब्रह्मचारी रहने वाली महिला श्रद्धालु भी शामिल हैं। ये लोग 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर की ओर जाने से रोक रहे हैं। बसों, निजी गाड़ियों में “प्रतिबंधित आयुवर्ग’ की महिलाओं की तलाशी ली गई। मंदिर में दर्शन का कवरेज कर रही महिला पत्रकार ने कहा कि उसे भी श्रद्धालुओं ने रोका, जबकि उसका मंदिर में जाने का कोई इरादा नहीं था। सबरीमाला का बेस कैम्प कहे जाने वाले नीलक्कल में हालात ज्यादा तनावपूर्ण हैं। यहां हजारों महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। एक महिला श्रद्धालु ने कहा कि मासिक पूजा के लिए सबरीमाला के पट कल खोले जा रहे हैं। हम यहां 10 से 50 साल तक की महिलाओं को नहीं जाने देंगे। काली पोशाकों में कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र भी बसों को रोकते हुए दिखाई दिए। शिवसेना ने धमकी दी है कि अगर प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिया गया तो हम सामूहिक आत्महत्या करेंगे। कुछ अन्य संगठनों ने कहा कि मंदिर में जाने वाली महिलाओं को उन्हें कुचलकर जाना होगा। भाजपा नेता कोल्लम थुलाशी ने धमकी दी कि प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाएं अगर मंदिर में गईं तो अंजाम भुगतना होगा।
सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी। यहां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। प्रथा 800 साल से चली आ रही थी।
सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। 12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि
अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। दर्शन के लिए हर साल यहां 4.5 से 5 करोड़ लोग आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया और अब आप कह रहे हैं कि यह हमारी प्रथा है। ऐसे तो तीन तलाक भी प्रथा है। यह नए जमाने के हिंदू और रुढ़िवाद के बीच की लड़ाई है। नए जमाने के लोग कह रहे हैं कि सभी हिंदू बराबर हैं और जाति परंपरा को खत्म करना चाहिए क्योंकि आज ब्राह्मण बौद्धिक कार्य ही नहीं कर रहा, वह सिनेमा और कारोबार में भी है। यह कहां लिखा है कि जाति जन्म से होती है। शास्त्र संशोधित किए जा सकते हैं।