हर व्यक्ति को दिन में कम से कम लगातार पांच मिनट तक धूप लेनी चाहिए। इससे टीबी के बैक्टीरिया मर जाते हैं। यह जानकारी शनिवार को केजीएमयू के डॉ सूर्यकांत ने दी। उन्होंने इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल के हेल्थ कांक्लेव में जनजागरण कार्यक्रम को कलाम सेंटर में बतौर विशेषज्ञ संबोधित किया।
उन्होंने बताया कि टीबी के वैक्टीरिया से हर दूसरा व्यक्ति संक्रमित है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसको टीबी की बीमारी है। यह जरूर है कि उसे खतरा ज्यादा है। ऐसे में खुद की जागरूकता से ही टीबी को खत्म किया जा सकता है। कार्यक्रम में डेंगू, मलेरिया, मिर्गी आदि अनेक विषयों पर भी विशेषज्ञों ने चर्चा की। कार्यक्रम का आयोजन केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सहभागिता से किया गया। जिसमें मुख्य भूमिका डॉ शिवानी पांडेय ने निभाई। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ सूर्यकांत ने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी से मुक्त कराना है। यह कठिन चुनौती तो है लेकिन असंभव नहीं।
उन्होंने बताया कि भारत में करीब 32 लाख टीबी के मरीज हैं। इनमें से करीब 11 लाख ऐसे मरीज हैं जिनकी पहचान नहीं है। ये मरीज कहां इलाज करा रहे हैं इसका कोई डाटा सरकार के पास नहीं है। उन्होंने बताया कि टीबी खांसने, छींकने और रोगी के संपर्क में आने से होता है। उन्होंने यह भी बताया कि एक मरीज से करीब 15 लोगों को टीबी होने का खतरा रहता है। ऐसी परिस्थिति में यह जो गायब मरीज हैं उनसे खतरा बढ़ जाता है। डॉ सूर्यकांत के मुताबिक यूपी में करीब 7.5 लाख मरीज हैं।केजीएमयू के फार्माकॉलजी विभाग के डॉ आरके दीक्षित ने एडिक्शन पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि घर से कीमती चीजें गायब हो रही हों, बच्चे के कमरे या बाथरूम से सिरिंज, सिगरेट की चमकीली क्वायल मिले तो सावधान हो जाना चाहिए। आपका बच्चा नशे की लत का शिकार हो सकता है। इसके अलावा आपका बच्चा यदि अपने पुराने दोस्तों से दूरी बनाकर नए दोस्त बना ले। उन्हें अपने घरवालों से कम मिलवाए तो भी सावधान होने की जरूरत है। बच्चे की सोशल मीडिया पर गतिविधि का भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की हेड डॉ तूलिका चंद्रा ने बताया कि हर तीसरे महीने पर रक्तदान करना चाहिए। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि ब्लड की मोबिलिटी बढ़ जाती है जिससे हॉर्ट अटैक का खतरा पांच फीसदी कम हो जाता है। इसके अलावा बोन मैरो स्वस्थ रहते हैं। डॉ़ राममनोहर लोहिया संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ मनोदीप सेन ने बताया कि मच्छरों के पनपने से मलेरिया होता है। अगर घर के आसपास कोई तालाब हो तो उसमें गंबुशिया मछली पालें। यह मच्छर और उसके अंडो को खाती है। इसके अलावा साफ सफाई रखें। मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें।जनरल फिजीशियन डॉ. अनुज माहेश्वरी ने संक्रामक बीमारियों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि खानपान सही रखें और रोजाना 45 मिनट व्यायाम करें या टहलें जरूर। इससे आपका स्वास्थ्य तो सही रहेगा ही, साथ में रोगों से लड़ने वाली प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होगा।