यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे एमजे अकबर ने बुधवार को विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके खिलाफ अब तक 16 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। 20 महिलाएं उनके खिलाफ गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में गवाही देने के लिए तैयार हैं। अकबर पर एक हफ्ते से इस्तीफे का दबाव था। इस बीच, ‘मी टू’ अभियान के तहत सामने आ रहे मामलों की जांच के लिए सरकार रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाने की बजाए मंत्रियों का एक समूह गठित करने पर विचार कर रही है।
20 महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘‘प्रिया रमानी इस लड़ाई में अकेली नहीं हैं। हम मानहानि मुकदमे की सुनवाई कर रही अदालत से अनुरोध करते हैं कि यौन उत्पीड़न से जुड़ी हमारी गवाही भी सुनी जाए।’’ इस संयुक्त बयान पर प्रिया रमानी के अलावा जिन 19 महिला पत्रकारों ने दस्तखत किए हैं, उनके नाम हैं- मीनल बघेल, मनीषा पांडे, तुशिता पटेल, कनिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार, होईन्हू हौजे, आयशा खान, कौशलरानी गुलाब, कनिजा गजारी, मालविका बनर्जी, एटी जयंती, हमीदा पारकर, जोनाली बुरगोहैन, सुजाता दत्त सचदेवा, रश्मि चक्रवर्ती, किरण मनाल, संजरी चटर्जी, क्रिश्चियन फ्रांसिस।
पिछले दिनों केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि मी टू कैम्पेन के तहत सामने आ रहे मामलों की जांच के लिए सरकार रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाएगी। यह कमेटी जनसुनवाई करेगी। हालांकि, बुधवार को एक न्यूज एजेंसी की खबर में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सरकार अब ऐसे मामलों पर गौर करने के लिए मंत्री समूह बनाने पर विचार कर रही है। यह मंत्री समूह किसी वरिष्ठ महिला मंत्री के नेतृत्व में बनेगा। यह समूह कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े कानून या नियम बनाने की सिफारिशें देगा।