केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हो रहा विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद भी केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिला. प्रदर्शनकारियों के विरोध की वजह से महिलाएं मंदिर के अंदर नहीं जा सकीं. महिला श्रद्धालुओं को प्रदर्शनकारियों ने डराया, धमकाया और यहां तक कि कुछ जगहों पर महिलाओं को बस से घसीट कर निकाला. दरअसल, बुधवार को महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे कुछ लोगों ने 4 महिला पत्रकारों पर हमला कर दिया
और उनकी गाड़ियों में तोड़फोड़ की. पुलिस पर पथराव किया, जिसमें 100 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और 25 प्रदर्शनकारी गिरफ़्तार किए गए हैं. सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओँ के प्रवेश के विरोध में आज दोपहर 12 बजे से 12 घंटे की हड़ताल बुलाई गई है. मंदिर के आस-पास में तनाव का माहौल है और किसी अप्रिय घटना के मद्देनजर कुछ इलाक़ों में धारा 144 लागू कर दी गई है.
सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा, श्रद्धालुाओं ने नहीं की हिंसा, इसमें दूसरे लोग शामिल सबरीमाला मंदिर के प्रमुख पुजारी कंदारारू राजीवारू के मुताबिक, ‘हालात खतरनाक हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ज्यादातर श्रद्धालु बेचैन हैं. मेरा अनुरोध है कि सबरीमाला मंदिर के तौर-तरीकों और रिवाजों को बनाए रखें. मैं हिंसा से सहमत नहीं हूं. हिंसा श्रद्धालुओं ने नहीं बल्कि दूसरों ने की है.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट केवल कानून देखता है, लेकिन रीति-रिवाजों और परंपराओं का संज्ञान नहीं लेता. इसलिए बहुत सारे श्रद्धालु चाहते हैं कि पुरानी परंपरा को बरकरार रखा जाए. मेरा सिर्फ एक ही विचार है जो कि पुरानी परंपरा और रिवाज पर आधारित है. कोच्चि: केरल राज्य सड़क परिवहन निगम आज अपनी सेवा नहीं दे रही है. कल केएसआरटीसी बस पर प्रदर्शनकारियों ने निलक्कल के नजदीक तोड़ फोड़ की थी. बता दें कि केरल में सबरीमाला संरक्षण कमिटी ने 12 घंटे के राज्य व्यापी बंद का आह्वान किया है.
सबरीमाला मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहा कि स्त्री पुरुष समानता अच्छी बात है, लेकिन इतने सालों से चली आ रही परंपरा और उसका पालन करने वालों लोगों की भावना का सम्मान नहीं किया गया, उनकी नहीं सुनी गई. केरल: सबरीमाल मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए भक्त पवित्र पाथिनेट्टम पडी पर चढ़ते दिखेअब सबरीमाला संरक्षण समिति ने गुरुवार को 12 घंटे राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है. कई स्थानीय संगठनों ने इस बंद को अपना समर्थन दिया है.
दरअसल, त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘मंदिर परिसर में अब तक 10 से 50 साल तक की कोई भी लड़की या महिला ने प्रवेश नहीं किया है.’ उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने के केरल सरकार के फैसले के बाद कार्यकर्ताओं में गुस्सा बढ़ गया है और पहाड़ी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के आस-पास तनाव का माहौल बना हुआ है. पारंपरिक तौर पर 10-50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को वर्जित रखने के पैरोकार कार्यकर्ता राहुल ईश्वर को पम्बा में गिरफ्तार किया गया. यहीं से मंदिर जाने का रास्ता शुरू होता है. निलक्कल में बेहद तनावपूर्ण माहौल है. यहां राष्ट्रीय टीवी चैनल की महिला पत्रकारों को प्रदर्शनकारियों ने जबरन वाहन से बाहर निकालकर उनके वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया.
टीवी पर प्रदर्शनकारी काले और भगवा कपड़े पहने दिख रहे हैं. उन्होंने निलक्कल से पम्बा जाने वाली महिला पत्रकारों को रोकने के लिए उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. वरिष्ठ मंत्री ईपी जयराजन ने बताया कि कम से कम 10 मीडियाकर्मी घायल हुए हैं और उनके उपकरणों को नुकसान पहुंचाया गया है. मीडिया पर हुए हमले की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि संबंधित धाराओं के तहत संदिग्धों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं. आंध्रप्रदेश की पूर्वी गोदावरी जिला निवासी माधवी शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सबरीमला पहाड़ी पर चढ़ने वाली पहली रजस्वला आयु वर्ग की महिला है. पम्बा और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती के बावजूद माधवी को बिना दर्शन किए लौटना पड़ा.