भोपाल. मोदी लहर में 2013 का विधानसभा चुनाव जीते कांग्रेस के 9 विधायकों के टिकट खतरे में हैं। सर्वे में कमजोर, दलबदल, आपराधिक रिकॉर्ड और बड़े नेताओं की असहमति की वजह से इनके टिकट होल्ड कर दिए गए हैं। दूसरी ओर बड़वाह से पिछले चुनाव में कांग्रेस के बागी रहे सचिन बिड़ला के नाम पर विवाद गहरा गया है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है। इधर, सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (सीईसी) की बैठक में बुधवार को 110 सिंगल नामों वाली सीट पर विचार हो चुका है।
जतारा से विधायक दिनेश अहिरवार का टिकट कटना तय है। वे चुनाव जीतने के बाद भाजपा में शामिल हो चुके थे। जबेरा से पहली बार विधायक बने प्रताप सिंह की स्थिति भी खराब बताई गई है। चितरंगी से सरस्वती सिंह का नाम पैनल में है, लेकिन टिकट पक्का नहीं है। सिंगरौली की इस सीट पर पार्टी किसी नए चेहरे को लाना चाहती है। करैरा से पहली बार विधायक बनीं शकुंतला खटीक का टिकट भी उलझन में है।आपराधिक रिकॉर्ड वाले फॉर्मूले के हिसाब से मउगंज से सुखेंद्र सिंह बन्ना का टिकट कट सकता है। उम्र फैक्टर के फेर में सिरोंज से गोवर्धन उपाध्याय भी फंस गए हैं। ब्यौहारी से रामपाल सिंह, बैहर से संजय उइके और बड़वानी से रमेश पटेल के नामों पर भी उहापोह की स्थिति है।
पार्टी ने बड़वाह से सचिन बिड़ला का नाम तय किया है। पिछले चुनाव में बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े सचिन दूसरे नंबर पर रहे थे। ऐसे ही इंदौर-एक से कमलेश खंडेलवाल, जावद से राजकुमार अहीर भी बागी होकर लड़ चुके हैं। शुजालपुर से योगेंद्र सिंह बंटी भी कांग्रेस के बागी होकर 32 हजार वोट ले गए थे। सोशल मीडिया पर वायरल कांग्रेस की गोपनीय ड्राफ्ट वाली सूची फर्जी थी। मीडिया विभाग अध्यक्ष शोभा ओझा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने फर्जी सूची जारी करवाई है। आगे भी ऐसी फर्जी सूची आती रहेंगीं। सीट बदलकर लड़ने का मौका नहीं-सीईसी में सीट बदलकर लड़ने वाले कुछ विधायकों का जिक्र आया था। बैठक में स्पष्ट कर दिया गया कि जो 5 साल अपने क्षेत्र में कुछ नहीं कर पाए, उन्हें दूसरी सीट पर मौका देना कतई ठीक नहीं होगा।