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आचार संहिता: आप भी अपने साथ पैसे लेकर कहीं जा रहे हैं, तो इस ख़बर को जरूर पढ़ें, नहीं तो हो सकते हैं जब्त…

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आचार संहिता की  जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है. यहां हम आपकों बताएंगे की आचार संहिता के दौरान किस तरह के नियम होते हैं, जिसका पालन करना जरूरी होता है.
आचार संहिता चुनाव आयोग के द्वारा जारी किए गए निर्देश हैं, जिनका अनुसरण हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना पड़ता है. आचार संहिता के लागू करने का मुख्य उद्देश्य चुनाव को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से संपन्न कराना है. यदि इन नियमों का उल्लंघन किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के जरिए किया जाता है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी होता है मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे और 11 दिसंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे, यानि 11 दिसंबर तक आचार संहिता प्रभावी रहेगी. इस दौरान इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है-
आचार संहिता लागू होते ही राजनैतिक दल और सत्तारुढ़ पार्टी कोई घोषणा नहीं कर सकती.इस दौरान किसी भी प्रकार के सरकारी शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन नहीं किया जा सकता.प्रत्याशी प्रचार में कितना धन खर्च कर रहे हैं उसकी एक सीमा होती है और उस खर्च का हिसाब उम्मीदवार को चुनाव आयोग को देना होता है.
सरकारी बंगले या सरकारी पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के दौरान नहीं किया जा सकता.
सरकारी खर्च से ऐसा कोई आयोजन नहीं किया जा सकता, जो किसी एक दल के हित में हो और उसे फायदा पहुंचा रहा हो.मंत्री सरकारी खर्च पर होने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में अतिथि के तौर पर शामिल नहीं हो सकते.मतदान दिवस के दौरान पोलिंग बूथों पर फिजूल की भीड़ जमा नहीं हो सकती.धार्मिक स्थानों और कार्यक्रमों के मंचों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता.यदि कोई मंत्री सरकारी दौरे पर है तो वो इस दौरान चुनाव प्रचार या संबंधित कार्य नहीं कर सकता.
मंत्री सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल नहीं कर सकता.प्रत्याशी, राजनीतिक पार्टी को रैली निकालने, जुलूस निकालने या मीटिंग करने के लिए स्थानीय प्रशासन से इसकी इजाजत लेनी होगी.साथ ही इसकी सूचना पुलिस को पहले से देनी होती है.किसी भी व्यक्ति के पास 50 हजार से ज्यादा नगद राशि और 10 हजार से ज्यादा का उपहार चुनाव सामग्री के साथ मिलता है तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई होगी.आचार संहिता लागू होते ही तबादलें पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. साथ ही चुनाव आयोग की अनुमति के बिना तबादले नहीं हो सकते.

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