सनातन परंपरा ने जड़ और चेतन सब में ईश्वर की भावना की है. नदियाँ, पहाड़, पत्थर यहाँ तक कि पेड़ पौधों में भी ईश्वर और देवी देवताओं का वास माना है. पौधों में देवियों और देवताओं का वास इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनके अन्दर नकारात्मक ऊर्जा नष्ट करने कि क्षमता होती है. तुलसी का पौधा भी इनमें से एक है, इसमें औषधीय के साथ साथ दैवीय गुण भी पाए जाते हैं. पुराणों में तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी कहा गया है. भगवान विष्णु ने छल से इनका वरण किया था इसलिए उनको पत्थर हो जाने का श्राप मिला, तभी से भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप में पूजे जाने लगे. शालिग्राम रुपी भगवान विष्णु की पूजा बिना तुलसी के हो ही नहीं सकती.
क्या है तुलसी का वैज्ञानिक महत्व?
तुलसी के पत्तों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता पायी जाती है
इसके नियमित सेवन से सर्दी जुकाम फ्लू जैसी छोटी मोटी परेशानियां नहीं हो पाती
साथ ही गंभीर बीमरियों में भी इसका काफी लाभ देखा गया है
तुलसी के बीज , संतान उत्पत्ति की समस्यों में कारगर होते हैं
जहाँ भी तुलसी लगती है , उसके आस-पास सकारात्मक ऊर्जा होती है
तुलसी का पौधा किसी भी बृहस्पतिवार को लगा सकते हैं , हालांकि कार्तिक का महीना इसके लिए सर्वोत्तम है.
कार्तिक के महीने में तुलसी के पौधे की पूजा और तुलसी विवाह सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देता है
तुलसी का पौधा घर या आगन के बीचों बीच लगाना चाहिए , या अपने शयन कक्ष के पास की बालकनी में
प्रातःकाल तुलसी के पौधे में जल डालकर , इसकी परिक्रमा करनी चाहिए
नियमित रूप से सायंकाल इसके नीचे घी का दीपक जलाना सर्वोत्तम होता है
तुलसी के पत्ते (तुलसी-दल) हमेश प्रातः काल ही तोड़ने चाहिए अन्य समयों पर नहीं
रविवार के दिन तुलसी के नीचे दीपक न जलाएँ
भगवान विष्णु और इनके अवतारों को तुलसी दल जरूर अर्पित करें
भूलकर भी भगवान गणेश और माँ दुर्गा को तुलसी अर्पित न करें
तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते , पुराने पत्तों को पूजा में प्रयोग किया जा सकता है
तुलसी का विशेष प्रयोग क्या है?
हनुमान जी को मंगलवार को तुलसी के पत्तों की माला अर्पित करने से कर्ज के मामले में लाभ होता है
भगवान कृष्ण को नित्य तुलसी दल अर्पित करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है
भोजन पकाते समय उसमे तुलसी के पत्ते डाल देने से खाना कभी कम नही पड़ता
तुलसी की माला गले में धारण करने से बुद्धि सही रास्ते पर रहती है.