सालों पहले हुई गैस त्रासदी के पीड़ितों ने सरकार की उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला कर लिया है. पीड़ितों का कहना है कि सरकार सालों से मुआवजे के तौर पर हर गैस पीड़ित को 5 लाख रुपये देने का झूठे वादा कर रही है. झूठे वादों और लापरवाही से परेशान होकर इन लोगों ने अपने घरों पर बैनर लगाए हैं और फैसला किया है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाएगा, वो मतदान नहीं करेंगे. वो वोट उसी नेता को देंगे, जो उन्हों मुआवजे की रकम दिलाएगा.
गैस त्रासदी के पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने हजारों लोगों का गैस पीड़ितों की लिस्ट से नाम काट दिया है. पीड़ितों ने कहा कि उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान और भोपाल गैस कांड के मंत्री विश्वास सारंग से कई बार मुलाकात करना चाहा, लेकिन किसी के पास उनसे मिलने का टाइम नहीं है.
यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. भोपाल गैस कांड में तकरीबन 1,50,000 लोग विकलांग और 22,000 लोगों की मौत हो गई थी. यही वजह है कि भोपाल गैस कांड दुनिया के औद्योगिक हादसों में शुमार बड़ी दुर्घटना है. इस रासायनिक हादसे में भोपाल के साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे.