दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है. दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलता है. इसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज आदि मनाए जाते हैं, जिसमें सबसे अहम तीसरा यानी बड़ी दिवाली का दिन होता है.
धनतेरस से भाई दूज तक मंदिरों और घरों को रंग बिरंगी खूबसूरत लाइटों से सजाया जाता है. इन दिनों बाजारों को भी नई-नई चीजों से सजाया जाता है. बाजारों में रौनक तो देखते ही बनती है. इस बार दिवाली का त्योहार 7 नवंबर के दिन मनाया जाएगा.
इस बार धनतेरस 5 नवंबर 2018 के दिन मनाया जाएगा. इस दिन नए बर्तन, सोने के सिक्के, ज्वैलरी खरीदना शुभ माना जाता है. घरों और ऑफिसों की सफाई करने के साथ-साथ इन्हें तरह- तरह की लाइटों से रोशन किया जाता है.
2. छोटी दिवाली- छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. छोटी दिवाली इस बार 6 नवंबर के दिन मनाई जाएगी. इस दिन खासतौर पर दोस्तों और रिश्तेदारों को मिठाई और गिफ्ट्स दिए जाते हैं. कई लोग अपने घरों में भी मिठाइयां बनाते हैं, एक दूसरे को बांटते है और प्रेमपूर्वक दिवाली का जश्न मनाते हैं.
3.दिवाली- पांच दिन लगातार चलने वाले त्योहारों में दिवाली का त्योहार सबसे बड़ा और अहम होता है. इस दिन लक्ष्मी पूजन का विधान है. मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा से धन के साथ-साथ वैभव का वरदान भी मिलता है.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- इस दिवाली लक्ष्मी पूजा करने का मुहूर्त 7 नवंबर के दिन शाम 5 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. इस दौरान परिवार के सभी सदस्य एक साथ मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं. पूजा करने के बाद लोग पूजा की थाल में रखी ज्योत से आशीष लेकर एक दूसरे का मुंह मीठा करते हैं और धूम से दिवाली का जश्न मनाते हैं.
4. गोवर्धन पूजा – गोवर्धन पूजा दिवाली के ठीक अगले दिन की जाती है. इस साल ये पूजा 8 नवंबर के दिन की जाएगी. कई लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई. इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है. उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.
5. भाई दूज – पांच दिनों तक चलने वाले त्योहारों में सबसे आखिर में भाई दूज मनाया जाता है. इस बार भाई दूज 9 नवंबर को मनाया जाएगा. भाई दूज का त्योहार बहन और भाई के प्यार का प्रतीक है. ये त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही होता है, फर्क सिर्फ इतना है कि इस दिन राखी नहीं बांधी जाती, बल्कि बहनें सिर्फ अपने भाइयों का तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं.