छठ के अंतिम दिन यानी सप्तमी तिथि को सूर्य को अरुण वेला में अंतिम अर्घ्य दिया जाता है. यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी “ऊषा” को दिया जाता है. इस अर्घ्य को देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है. इस अर्घ्य को देने के बाद महिलाएं जल पीकर और प्रसाद खाकर छठ व्रत का पारायण करती हैं. अगर छठ का अंतिम अर्घ्य भी दे दिया जाय तो भी बहुत सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. इस बार छठ का अंतिम अर्घ्य 14 नवंबर को दिया जाएगा. पटना में 14 नवंबर को सूर्योदय का समय 06:06 बजे होगा.
छठ में सूर्य को अंतिम अर्घ्य देने से क्या लाभ होते हैं?
छठ का व्रत उपवास रखने से और अर्घ्य देने से संतान की प्राप्ति सरल हो जाती है
अगर संतान की तरफ से कोई कष्ट हो तो भी यह अर्घ्य लाभकारी होता है
जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर हो,उनके लिए भी यह अर्घ्य लाभकारी होता है
अगर राज्य पक्ष से कोई कष्ट हो ,तो भी यह उपासना अद्भुत होती है
अगर पिता-पुत्र के सम्बन्ध ख़राब हों तो भी इस व्रत में अर्घ्य जरूर देना चाहिए
अगर आँखों,हड्डियों या कुष्ठ रोग की समस्या हो तो भी छठ पर्व का पालन जरूर करना चाहिए
छठ व्रत की समाप्ति के नियम और सावधानियां क्या हैं?
छठ व्रत की समाप्ति नीम्बू पानी पीकर ही करें
एकदम से अनाज और भारी खाना न खाएं
अंतिम अर्घ्य के बाद उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद जरूर बाँटें
नदी के जल को गन्दा न करें , साफ़ सफाई का ध्यान रक्खें
जितने दिन छठ का पर्व चलता है, उतने दिन पूर्ण साफ़ सफाई और सात्विकता बरतें.
जो लोग भी व्रत रखते हैं, उनकी सेवा और सहायता करें.
गुड और आटे की विशेष मिठाई “ठेकुवा” जरूर बनाएं या बनवाएं.
इसे निर्धनों और बच्चों में जरूर बांटें.
छठ के दोनों ही अर्घ्य जरूर दें और सूर्य देव से कृपा की प्रार्थना करें.
जो लोग छठ का व्रत रखते हैं उनका चरण छूकर आशीर्वाद जरूर ले लें.
सूर्य के अंतिम दिन के अर्घ्य से किस प्रकार मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं?
शिक्षा और एकाग्रता के लिए-
जल में नीला या हरा रंग मिलाएं
स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए – रोली और लाल पुष्प
राजकीय सेवा के लिए – जल में लाल चन्दन मिलाएं
शीघ्र विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए – हल्दी मिलाकर
जीवन में सभी हिस्सों से लाभ के लिए – सादा जल अर्पित करें
पितर शांति और बाधा के निवारण के लिए – तिल और अक्षत मिलाकर.