कार्तिक का अमर फल आंवला है. आंवले का फल पौराणिक दृष्टिकोण से रत्नों के सामान मूल्यवान माना जाता है. कहते है कि शंकराचार्य ने इसी फल को स्वर्ण में परिवर्तित कर दिया था. इस फल का प्रयोग कार्तिक मास से आरम्भ करना अनुकूल माना जाता है. इस फल के सटीक प्रयोग से आयु,सौन्दर्य और अच्छे स्वस्थ्य की प्राप्ति होती है.
मात्र यही ऐसा फल है जो सामान्यतः नुकसान नहीं करता. इस फल को नौजवानी का फल भी कहते हैं. इसे ग्रहण करने से बुढ़ापा नहीं आता है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. अतः यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है. इसके नियमित सेवन से सामान्यतः रोग नहीं होते हैं. साथ ही बाल लंबे और घने होते हैं. त्वचा चमकदार और सुन्दर हो जाती है.
क्या है अक्षय नवमी का पर्व?
कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवला नवमी कहा जाता है. माना जाता है कि इसी दिन से द्वापर युग का आरम्भ हुआ था.
इसी दिन के अगले दिन बाद भगवान ने कंस का वध किया था.
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाना और करना विशेष शुभ माना जाता है.
इस दिन कुष्मांड का दान करना भी अत्यधिक शुभ माना जाता है.
इस बार अक्षय नवमी का पर्व 17 नवंबर को होगा.
अक्षय नवमी की पूजा विधि क्या है?
दिन में स्नान करके पूजा करने का संकल्प लें.
प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले.
आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व मुख होकर उसमें जल डालें.
वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और कपूर से आरती करें.
वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं, स्वयं भी भोजन करें