डायबिटीज में मरीजों को टखनों, पैरों और पेट में सूजन, लगातार थकान महसूस होना, अनियांत्रिक ग्लूकोज स्तर, सांसों की कमी जैसे लक्षणों को लेकर सजग रहना चाहिए. देश में करीब 7.20 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. टाइप-2 डायबिटीज के 70 फीसदी से ज्यादा मरीज की मौत हृदयधमनी रोगों के कारण होती है. मेडिकल मैगजीन लांसेट में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय लोगों के कार्डियो वस्कुलर डिजीज (सीवीडी) में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है.
डायबिटीज के मरीजों में अक्सर हार्ट फेलियर के लक्षण पता नहीं चल पाते क्योंकि डायबिटीज के उपचार के कारण ये लक्षण दब जाते हैं. इसके चलते इलाज में देरी हो सकती है और डॉक्टर से मिलते-मिलते हार्ट फेलियर का रोग उन्नत अवस्था में पहुंच सकता है. ऐसी स्थिति में अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है.
विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) के अवसर पर मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ते इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देव पहलाजानी ने कहा, “मेरे पास हर महीने आने वाले कुल हृदयरोगियों में से लगभग 10 फीसदी को किसी न किसी स्तर का हार्ट फेलियर रहता है. इस्कीमिक हृदयरोगों और डायबिटीज एवं हाइपरटेंशन जैसी गंभीर अवस्थाओं में वृद्धि के कारण हार्ट फेलियर के मामले बढ़ रहे हैं.”
एआईआईएमएस में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अम्बुज रॉय ने कहा, “हमें डायबिटीज जैसे खतरनाक घटकों पर निवेश करने की जरूरत है, नहीं तो हमें विशेषकर युवाओं को हृदयधमनी रोगों का भारी संकट झेलना पड़ेगा.”