Home Uncategorized सबरीमाला मंदिर विवाद : हिन्दूवादी महिला नेता की गिरफ्तारी के विरोध में...

सबरीमाला मंदिर विवाद : हिन्दूवादी महिला नेता की गिरफ्तारी के विरोध में केरल में हड़ताल…

44
0
SHARE

महिलाओं की एंट्री पर जारी घमासान के बीच सबरीमाला मंदिर के कपाट खुल चुके हैं. 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री के खिलाफ रहे संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. मंदिर के आसपास भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है और सबरीमाला के द्वार, पंबा और निलक्कल में धारा 144 लागू कर दी गई है. पुलिस ने हिंदूवादी महिला नेता केपी शशिकला समेत कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया है. जिसके बाद आज सबरीमाला कर्मा समिति ने राज्य स्तरीय बंद बुलाया है.

कल मंदिर में महिलाओं की एंट्री की वकालत कर रही सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई को कोच्चि एयरपोर्ट से मुंबई वापस लौटना पड़ा. इससे पहले वे करीब 14 घंटे तक कोच्चि एयरपोर्ट पर फंसी रही. सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए छह अन्य महिलाओं के साथ पहुंची देसाई का बीजेपी, आरएसएस समेत अन्य संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा. एयरपोर्ट के बाहर प्रदर्शन हुए. जिसके बाद वे एयरपोर्ट से ही वापस मुंबई लौट गईं.

देसाई को मुंबई में भी एयरपोर्ट के बाहर विरोध का सामना करना पड़ा. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि जब में कोच्चि एअरपोर्ट पहुंची तभी एयरपोर्ट के बाहर बडी संख्या में प्रदर्शनकारीयो ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और मुझे एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया. मैं आगे सबरीमला मंदिर जाने वाले थी लेकिन हालात इतने बिगड़ गये थे कि मुझे वहां पर कोई टैक्सी, बस ले जाने के लिए तैयार नहीं थी. उन्होंने आगे कहा ”इस विरोध को देखने के बाद सुबह से मुझे सुरक्षा दी गई थी, लेकिन जब यह विरोध तीव्र होने लगा तब मुझे वहां पुलिस ने कहा कि हालात और बिगड़ जाएंगे आप वापस चले जाये. तब मैं मुंबई आ गई. मुंबई में जब यह विरोध देखा तो मैं हैरान हो गई, लेकिन मुझे लगता है कि पब्लिसिटी स्टंट था.”

सबरीमाला को लेकर जारी विवाद पर भारत में रह रहीं बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने आश्चर्य जताया कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिर में प्रवेश के लिए अत्यधिक उत्सुक क्यों हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जगह उन्हें गांवों में जाना चाहिए जहां महिलाएं अनेक मुद्दों से जूझ रही हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘बेहतर होगा कि वे (महिला कार्यकर्ता) गांवों में जाएं जहां महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घृणा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और जहां लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं है, जहां उन्हें नौकरी करने की स्वतंत्रता नहीं है या जहां उन्हें समान वेतन नहीं मिलता है.’’

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की एंट्री की इजाजत दी है. इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. शीर्ष अदालत पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई कर सकती है. मंदिर करीब दो महीने खुले रहेंगे. 41 दिनों तक चलने वाला मंडलम उत्सव मंडला पूजा के बाद 27 दिसंबर को संपन्न होगा जब मंदिर को ‘अथाझापूजा’ के बाद शाम को बंद कर दिया जाएगा. यह 30 दिसंबर को मकराविलक्कू उत्सव पर फिर से खुलेगा. मकराविलक्कू उत्सव 14 जनवरी को मनाया जाएगा जिसके बाद मंदिर 20 जनवरी को बंद हो जाएगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here