पंजाब के अमृतसर हमले को लेकर बड़ा खुलासा किया है. सरकार के सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि रविवार को अमृतसर के राजासांसी में निरंकारी भवन में हुए ग्रेनेड हमले के पीछे आतंकी जाकिर मूसा का हाथ है. जाकिर मूसा ने ISI के साथ मिलकर हमले की साजिस रची थी. बता दें कि रविवार को हुए इस हमले में 3 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 21 लोगों के घायल हो गए हैं. इस मामले की जांच एनआईए की टीम ने शुरू कर दी है. आज एनआईए की टीम ने आज घटना स्थल पर पहुंच कर सघन छानबीन की. इस बीच पंजाब सरकार ने हमलावरों का सुराग देने वालों के लिए 50 लाख रुपये ईनाम की घोषणा की है.
बता दें कि पंजाब पुलिस ने भी आतंकी हमले की आशंका जताई थी. इससे पहले ग्रेनेड हमले को लेकर सीएम अमरिंदर सिंह ने भी ISI समर्थित आतंकी समूहों के शामिल होने की संभावना जतायी थी. इस हमले के बाद पंजाब और पड़ोसी राज्यों हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. दिल्ली में मौजूद संत निरंकारी के हेड क्वार्टर की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है. वहीं 24 से 26 नवंबर के बीच हरियाणा के कसमालखा में निरंकारी का 71वां वार्षिक संत समागम होने वाला है. अमृतसर हमले के बाद कसमालखा में सुरक्षा का जायजा लिया जा रहा है और निरंकारी प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आश्वस्त है.
निरंकारी संप्रदाय की शुरुआत 1929 में सिख धर्म के अंदर एक पंथ के तौर पर हुई. बाद में निरंकारियों ने सिखों के धर्म गुरुग्रंथ साहिब को गुरू मानने से इंकार किया और व्यक्ति को गुरु मानने पर जोर दिया. निरंकारी गुरु बाबा अवतार सिंह द्वारा रचित वाणी को अवतारवाणी वाणी का नाम दिया. सिख विद्वानों ने इसमें सिख संकल्प के साथ छेड़खानी का आरोप लगाया.
1976 में मतभेद हिंसक हो गया, निरंकारी कार्यक्रम का विरोध कर रहे सिखों पर अमृतसर में गोलीबारी, हमले में 3 निरंकारी और 13 सिख मारे गए. जवाबी कार्रवाई में सिख कार्यकर्ताओं ने निरंकारी प्रमुख गुरबचन सिंह की हत्या कर दी. निरंकारी अपने आप को सिख धर्म से अलग मानते हैं और सिखों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था अकाल तख़्त ने भी निरंकारियों का बहिष्कार किया है.