Home धर्म/ज्योतिष देवोत्थान एकादशी का महत्व, इस विधि से करें पूजा…

देवोत्थान एकादशी का महत्व, इस विधि से करें पूजा…

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भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. पुनः कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं. इन चार महीनों में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं और जब देव (भगवान विष्णु ) जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है.

देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी कहते हैं. इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है. कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार देवोत्थान एकादशी 19 नवंबर को होगी.

देवोत्थान एकादशी के दिन किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?

निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए.

अगर रोगी, वृद्ध, बालक या व्यस्त व्यक्ति हैं तो केवल एक वेला का उपवास रखना चाहिए और फलाहार करना चाहिए.

अगर यह भी संभव न हो तो इस दिन चावल और नमक नहीं खाना चाहिए.

भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करें.

तामसिक आहार (प्याज़,लहसुन,मांस,मदिरा,बासी भोजन ) बिलकुल न खाएं.

इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए.

क्या है देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि?

गन्ने का मंडप बनाएं, बीच में चौक बनाया जाता है.

चौक के मध्य में चाहें तो भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रख सकते हैं.

चौक के साथ ही भगवान के चरण चिन्ह बनाये जाते हैं, जिसको बाद में ढक दिया जाता है.

भगवान को गन्ना, सिंघाडा तथा फल-मिठाई समर्पित किया जाता है.

घी का एक दीपक जलाया जाता है, जो कि रातभर जलता रहता है.

भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है.

फिर चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है.

इस समय शंख-घंटा-और कीर्तन की आवाज़ की जाती है.

इसके बाद व्रत-उपवास की कथा सुनी जाती है.

इसके बाद से सारे मंगल कार्य विधिवत शुरू किए जा सकते हैं.

देवोत्थान एकादशी के दिन कुछ विशेष प्रयोग करके विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है.

शीघ्र विवाह के लिए क्या करें उपाय?

लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें.

शालिग्राम को स्नान कराके उनको चन्दन लगाएं.

उनको पीले रंग के आसन पर बिठाएं.

फिर तुलसी को अपने हाथों से उनको समर्पित करें.

प्रार्थना करें कि आपका विवाह शीघ्र हो जाए.

मनचाहे विवाह के लिए क्या उपाय करें?

पीले रंग के वस्त्र धारण करें.

पंचामृत बनायें, उसमें तुलसी दल मिलाएं.

शालिग्राम जी को पंचामृत स्नान कराएं.

मनचाहे विवाह की प्रार्थना करें.

पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.

अगर वैवाहिक जीवन में बाधा आ रही हो तो क्या उपाय करें?   

सम्पूर्ण श्रृंगार करें, पीले वस्त्र धारण करें.

शालिग्राम के साथ तुलसी का गठबंधन करें.

इसके बाद हाथ में जल लेकर तुलसी की नौ बार परिक्रमा करें.

बांधी हुई गांठ के साथ उस वस्त्र को अपने पास हमेशा रखें.

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