2019 लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जित का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. मामला सुप्रीम कोर्ट में है और अदालत ने जनवरी में इस मामले पर सुनवाई की बात कही है. फैसलों में हो रही देरी पर हिंदूवादी संगठनों ने नाराजगी जताई है. आरएसएस के कार्यकारी प्रमुख सुरेश भैयाजी जोशी ने कल अयोध्या का दौरा करने के बाद कहा कि उम्मीद है कि टेंट में आखिरी बार रामलला के दर्शन कर रहे हैं. वहीं बीजेपी ने अपने पुराने बयानों को एक बार फिर दोहराया है. पार्टी ने कहा कि मंदिर का निर्माण संवैधानिक ढ़ंग से होगा.
उन्होंने कल मध्यप्रदेश चुनाव पर आधारित एबीपी न्यूज़ के शिखर सम्मेलन में राम मंदिर के मुद्दे पर कहा, ”हमारा स्टैंड बहुत स्पष्ट है. उस जगह पर भव्य राम मंदिर बनना चाहिए. मगर हमने स्पष्ट कहा है कि संवैधानिक रूप से बनना चाहिए. दबाव बनाना चाहिए. उन्हें लगता है कि देरी हो रही है. सरकार ने भी कहा है कि जल्दी सुनवाई हो. कांग्रेस नेता ने कहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई होनी चाहिए. हमने नहीं कहा है.”
आपको बता दें कि राम मंदिर को लेकर आरएसएस, वीएचपी, शिवसेना, योग गुरु रामदेव और अन्य दलों/संगठनों ने कानून लाए जाने की मांग की है. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी इन संगठनों की मांगों को सही करार दिया है.सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बीजेपी का स्टैंड क्या है? इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि मंदिर की जो परंपरा में हस्तक्षेप सही नहीं है. साथ ही उन्होंने मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक पर भी सवाल उठाया.
अमित शाह ने कहा, ”मस्जिद में महिलाओं को नमाज पढ़ने की आजादी अभी तक क्यों नहीं मिली. वहां महिलाओं को आजादी क्यों नहीं है. सबरीमाला मामले में मैं मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश माना जाना चाहिए लेकिन मंदिर के मामले में हस्तक्षेप सही नहीं है. जिस मंदिर की जो परंपरा है, वह बनी रहनी चाहिए.” उन्होंने कहा मंदिर से बाहर चप्पल उतारना परंपरा है इसे आजादी से जोड़कर कभी नहीं देखना चाहिए.