प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है. यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है. इस बार प्रदोष व्रत 20 नवंबर यानी आज है.
प्रदोष व्रत की विधि-
प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए.
नित्यकर्मों से निवृत होकर, भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें.
इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है.
पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते हैं.
पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है.
अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाई जाती है.
प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है.
इस प्रकार पूजन की तैयारियां करके उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए.
पूजन में भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए.