दरअसल, ये राशि कुछ और नहीं बल्कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की जमानत राशि है, जो जब्त हो गई थी. पिछली बार इंदौर से करीब 97 उम्मीदवार खड़े हुए थे, जिनमें से महज 18 प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा सके थे, जबकि 78 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.
अब आप सोच रहे होंगे कि जब 78 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी तो इंदौर से चुनावी मैदान में कितने प्रत्याशी खड़े थे. 2013 में इंदौर जिले की सभी सीटों पर कुल मिलाकर 97 प्रत्याशी मैदान में थे, यानी यहां प्रत्याशी शतक से महज तीन अंक पीछे रह गए. अगर तीन लोग और मैदान में उतरते तो इस आंकड़े को नर्वस नाइन्टीज का शिकार नहीं होना पड़ता. पिछले विधानसभा चुनाव में इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 से तो केवल तीन नेता ही अपनी जमानत बचा सके थे. आमतौर पर चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों में से 20 फीसदी प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाते हैं.
2013 विधानसभा चुनाव में जिले के सभी नौ विधानसभा क्षेत्रों में 18 लाख 72 हजार 579 मतदाता थे, लेकिन इनमें से 13 लाख 28 हजार 30 मतदाताओं ने ही मताधिकार का प्रयोग किया था. यानी इंदौर के 5 लाख 44 हजार 549 मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया. जबकि मतदान करने वाले 23 हजार 522 वोटर ऐसे थे जिन्होंने 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार नोटा का उपयोग किया था.
2013 के चुनाव में इंदौर में नोटा का इस्तेमाल सबसे ज्यादा विधानसभ क्रमांक-2 की सीट पर हुआ. यहां 4919 लोगों ने नोटा को वोट किया, जबकि विधानसभा क्रमांक-5 इस मामले में दूसरे नंबर पर थी. यहां 2743 वोटर्स ने नोटा को वोट दिया था. विधानसभा क्रमांक 5 पर इंदौर में सबसे ज्यादा 18 प्रत्याशी भी मैदान में थे, जिसके चलते यहां मतदान केंद्रों पर दो बैलेट यूनिट लगाई गईं थीं. इसी सीट पर सबसे ज्यादा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.