जयराम सरकार ने कथित मिल्कफेड गड़बड़झाले की फाइल जांच के लिए खोल दी है। इस मामले में विजिलेंस अधिकारी सरकारी वकीलों की राय ले रहे हैं। वीरभद्र सरकार में मिल्कफेड के अध्यक्ष रहे चेतराम ठाकुर पर गैर कानूनी तरीके से निदेशक मंडल का सदस्य बनने का आरोप है। चेतराम ने पिछली बार सिराज हलके से सीएम जयराम ठाकुर के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने जयराम के खिलाफ 2003 में भी चुनाव लड़ा था। चेतराम दो बार हिमाचल दुग्ध प्रसंघ (मिल्कफेड) के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।
वीरभद्र सरकार मेें पहली बार वह जुलाई 2003 से लेकर जनवरी 2008 के बीच मिल्कफेड के चेयरमैन बने। दूसरी बार अक्तूबर 2013 से अक्तूबर 2017 तक अध्यक्ष रहे। उन्होंने अक्तूबर 2017 में इस पद को छोड़ दिया था। आरोप है कि वह दूसरी बार मिल्कफेड निदेशक मंडल के सदस्य गैरकानूनी तरीके से बने। दिसंबर 2017 को विपक्ष में रही भाजपा की ओर से राज्यपाल को सौंपी चार्जशीट में उन पर आरोप लगाए गए कि दुग्ध प्रसंघ और एक बैंक का डिफॉल्टर होने के बावजूद उन्हें प्रसंघ का चेयरमैन बनाया गया।
सरकारी नियमों को ताक पर रखा गया। सूत्रों ने बताया कि इसी प्रकरण पर जांच बैठाई गई है। उनके पहले कार्यकाल का एक अन्य केस भी जांच का हिस्सा बनाया गया है, जिसमें मिल्कफेड में उस वक्त भी कुछ अनियमितताओं के आरोप हैं।
भाजपा की चार्जशीट में चेतराम ठाकुर पर यह भी आरोप है कि एक स्कूल के साइंस ब्लॉक का शिलान्यास तत्कालीन मंत्री जयराम ठाकुर ने 2012 में कर दिया था, मगर चेतराम ठाकुर दोबारा इसका शिलान्यास करने पहुंच गए। विरोध करने पर भाजपा कार्यकर्ताओं से मारपीट की गई और उन पर केस बना दिया गया।चेतराम ठाकुर ने कहा- मैं वीरभद्र का आदमी हूं। लोकसभा चुनाव के लिए जयराम ठाकुर मुझे खतरा मान रहे हैं। विधानसभा चुनाव में मैं दो बार उन्हें टक्कर दे चुका हूं। इस बार लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस हाईकमान में मेरी उम्मीदवारी पर चर्चा हो चुकी हैइसीलिए बात का बतंगड़ बनाकर जांच खोली है। सहकारिता विभाग ने एक प्रक्रिया के तहत मुझे निदेशक बनाया। बैंक और दुग्ध प्रसंघ का डिफाल्टर होता तो मुझे एनओसी ही नहीं मिलता। मैं निदेशक का चुनाव ही न लड़ पाता।